उत्तर प्रदेश

बड़ा फैसलाः पीएसी से सिविल पुलिस में तबादला हो सकता है

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला, दर्जनों याचिकाएं की खारिज

प्रयागराज। पीएसी और सिविल पुलिस बल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान फैसला सुनाते हुए कहा कि पीएसी और सिविल या सशस्त्र पुलिस अलग- अलग फोर्स नहीं हैं। इनका तबादला एक- दूसरे बल में हो सकता है। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ यह बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों एक ही पुलिस बल हैं। इसलिए पीएसी से सिविल पुलिस में या सिविल पुलिस से पीएसी में तबादला किया जा सकता है।

क्या है मामला

दरअसल, उत्तर प्रदेश के कई पीएसी जवानों का तबादला सिविल पुलिस में किया गया था। इस मामले (तबादले) के खिलाफ कई जवान कोर्ट गए थे। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह बड़ा फैसला सुनाया है।

व्यापक पैमाने पर हुआ है तबादला

गौरतलब है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में व्यापक पैमाने पर पीएसी जवानों का तबादला सिविल पुलिस में किया गया है। इसके खिलाफ पीएसी के जवानों द्वारा कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थी। याचिकाकर्ता सुनील कुमार चौहान और 186 अन्य पीएसी कांस्टेबलों, हेड कांस्टेबलों द्वारा कुल 27 याचिकाएं दायर की गईं थी। याचिकाकर्ताओं ने अपने तबादले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि पुलिस एक्ट और पीएसी एक्ट अलग अलग हैं। इसलिए एक दूसरे बल में तबादला नहीं हो सकता लेकिन उनकी दलील को कोर्ट ने नहीं माना।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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