अपडेट-INDIA WATER WEAK: राष्ट्रपति ने कुंभ में जल भरकर किया `भारत जल सप्ताह’ का उद्घाटन
कहां आयोजित किया गया है कार्यक्रम, कब तक चलेगा यह कार्यक्रम, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री ने दिया संदेश
ग्रेटर नोएडा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज मंगलवार को यहां ग्रेटर नोएडा स्थित इण्डिया एक्स्पो मार्ट में सातवें भारत जल सप्ताह (इंडिया वाटर वीक) का कुंभ में जल भरकर उद्घाटन किया। यह कार्यक्रम पांच नवंबर तक चलेगा। इस दौरान देश विदेश के दो हजार से अधिक लोग जल संरक्षण व नदियों, सरोवरों के संरक्षण आदि से संबंधित शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे।
जल के बिना जीवन की कल्पना असंभव
इस अवसर पर उद्घाटन समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। भारतीय सभ्यता में जल जीवन में ही नहीं जीवन के बाद की यात्रा में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए सभी जलस्रोतों को पवित्र माना जाता है। लेकिन फिलहाल स्थिति पर नजर डालें तो स्थिति चिंताजनक लगती है। बढ़ती आबादी के कारण हमारी नदियों और जलाशयों की हालत बिगड़ रही है, गांव के तालाब सूख रहे हैं। कई स्थानीय नदियां विलुप्त हो गई हैं। कृषि और उद्योगों में पानी का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है, मौसम का मिजाज बदल रहा है और बेमौसम अत्यधिक वर्षा आम हो गई है। ऐसे में जल प्रबंधन पर चर्चा करना बहुत ही सराहनीय कदम है।
पानी का मुद्दा विश्व के लिए प्रासंगिक
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी का मुद्दा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रासंगिक है। यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है क्योंकि उपलब्ध मीठे पानी की विशाल मात्रा दो या दो से अधिक देशों के बीच फैली हुई है। इसलिए, यह संयुक्त जल संसाधन एक ऐसा मुद्दा है जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 7वें भारत जल सप्ताह में डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, इजराइल और यूरोपीय संघ भाग ले रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मंच पर विचारों और प्रौद्योगिकियों के आदान-प्रदान से सभी लाभान्वित होंगे।
सिंचाई में पानी का उपयोग व प्रबंधन जरूरी
राष्ट्रपति ने कहा कि पानी कृषि के लिए भी एक प्रमुख संसाधन है। एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 80 फीसद जल संसाधन का उपयोग कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। इसलिए जल संरक्षण के लिए सिंचाई में पानी का उचित उपयोग और प्रबंधन बहुत जरूरी है। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक प्रमुख पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप, इस योजना में प्रति बूंद अधिक फसल सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल बचत प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी परिकल्पना की गई है।
स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना होगी चुनौती
राष्ट्रपति ने कहा कि बढ़ती आबादी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी। पानी का मुद्दा बहुआयामी और जटिल है, जिसके लिए सभी हितधारकों को प्रयास करने चाहिए। हम सभी जानते हैं कि पानी सीमित है और केवल इसका उचित उपयोग और पुनर्चक्रण ही इस संसाधन को लंबे समय तक बनाए रख सकता है। इसलिए, हम सभी को इस संसाधन का सावधानीपूर्वक उपभोग करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूक होने और दूसरों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति की लोगों से अपील
राष्ट्रपति ने ने विश्वास व्यक्त किया कि इस 7वें जल सप्ताह के दौरान विचार-मंथन के परिणाम इस पृथ्वी और मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने आम लोगों, किसानों, उद्योगपतियों और विशेषकर बच्चों से जल संरक्षण को अपनी नैतिकता का हिस्सा बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसी तरह हम आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और सुरक्षित कल का तोहफा दे पाएंगे।
सभी का प्रयास बहुत आवश्यक
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस अवसर पर राष्ट्रपति का आभार एवं अभिनंदन करते हुए अपने उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत के विकास में पानी की कमी बाधा ना बन सके, इसके लिए काम करते रहना हम सभी का दायित्व है, सबका प्रयास बहुत आवश्यक है। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति भी जवाबदेह हैं। पानी की कमी की वजह से हमारे बच्चे अपनी ऊर्जा राष्ट्र निर्माण के कार्यों में न लगा पाए, उनका जीवन पानी की किल्लत से निपटने में ही बीत जाए, यह हमें नहीं होने देना है, इसके लिए हमें युद्ध स्तर पर अपना काम जारी रखना होगा। आजादी के 75 साल का समय बीत गया है, अब हमें बहुत तेजी से कार्य करना है और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के किसी भी हिस्से में टैंकरों या ट्रेनों से पानी पहुंचाने की फिर नौबत न आए। उन्होंने कहा कि गांधी जी कहते थे कि ग्राम स्वराज का वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। इसलिए हमारा निरंतर यह प्रयास होना चाहिए कि ग्राम स्वराज कि यह सोच सिद्धियों की तरह आगे बढ़े। ग्राम स्वराज का मतलब सिर्फ पंचायतों में चुनाव कराना ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा जल और स्वच्छता के लिए आज एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पारदर्शिता का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सरकार की प्रतिबद्धता का एक बड़ा प्रमाण जल जीवन मिशन और पानी समितियां भी हैं। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन स्कीम के तहत अब तक 17.8 करोड़ से अधिक ग्रामीणों को लाभान्वित किया गया है, जिनमें 3.27 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को जल का कनेक्शन प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि पानी का मूल्य वह समझता है , जो पानी के अभाव में जीता है। कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में भी पानी की बहुत बड़ी भूमिका है। हर घर जल पहुंचेगा तो बच्चों का स्वास्थ्य भी सुधरेगा। हमारे सामने अनेक महानुभाव के उदाहरण हैं, जिन्होंने जल संरक्षण जल संचयन को अपने जीवन का सबसे बड़ा मिशन बनाया हुआ है। हमें भी ऐसे लोगों से सीख लेते हुए प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को दिखाया है कि हम भारत के लोग दृढ़ संकल्प के साथ सामूहिक प्रयासों से कठिन से कठिन लक्ष्य को भी हासिल कर सकते हैं हमें एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाना है।
मुख्यमंत्री ने किया स्वागत व अभिनंदन
सातवें भारत जल सप्ताह कार्यक्रम के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए सर्वप्रथम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के उत्तर प्रदेश की धरती पर पहली बार आने पर प्रदेश की जनता की ओर से उनका स्वागत एवं हार्दिक अभिनंदन किया। मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही उच्च प्राथमिक विषय उपलब्ध कराएं, जिनमें से एक स्वच्छता पेयजल आपूर्ति भी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, जहां पर उपयुक्त अवसर है। कहा जाता है कि जहां की आबादी सर्वाधिक होती है वहां पर जीवन यापन करने के लिए उपयुक्त अवसर होते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में भूगर्भ जल, सरफेस जल का पर्याप्त जल संसाधन है। उत्तर प्रदेश के क्रिटिकल जिलों जैसे बुंदेलखंड के अंतर्गत आने वाले जिलों तथा बिंद क्षेत्र पर वर्तमान में सतही जल का पर्याप्त भंडारण हैं और हम भविष्य में भी भंडारण एवं जल का संरक्षण करने के लिए भरपूर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की प्रेरणा से पिछले साढ़े पांच वर्षों में जल का प्रबंधन बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों एवं बिंद क्षेत्रों में अधिक से अधिक हुआ है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हिमालय से आने वाली ज्यादातर नदियां सिल्ट लेकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती थी, जहां पर उनका चैनेलाइज नहीं हो पाया था, जिसमें से कुछ छोटी नदियां लुप्त प्राय हो गई थीं, लेकिन वर्तमान में हमने उन नदियों को जीवित करने के लिए निरंतर प्रयास करते हुए 60 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित कर उनमें जल संचालन का कार्य सुनिश्चित किया है।
नमामि गंगे परियोजना के बारे में बताया
मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे परियोजना के लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से काफी अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें से उत्तर प्रदेश में मां गंगा नदी के किनारे बसे शहर कानपुर में 14 लाख लीटर सीवर का पानी गंगा में गिरने के कारण मां गंगा जैसी नदी को प्रदूषित करता था, लेकिन वर्तमान में कानपुर शहर के शीशामऊ में सीवर पॉइंट पूरी तरह से समाप्त करने की कार्रवाई उत्तर प्रदेश सरकार ने सुनिश्चित की इससे आज वही पॉइंट सेल्फी प्वाइंट के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि पहले के समय में कानपुर शहर की गंगा नदी में एक भी जलीय जीव नहीं पाया जाता था, लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों से गंगा नदी में डॉल्फिन एवं अन्य जलीय जीव भी पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगने वाले कुम्भ के मेले में मानवता के लिए व्यापक पैमाने पर सांस्कृतिक आयोजन एवं देश दुनिया से श्रद्धालुओं का जनसैलाब आता है, इसी नमामि गंगा परियोजना के द्वारा मां गंगा का जल निर्मल एवं पवित्र होने के कारण वर्तमान में श्रृद्धालु स्नान करने के बाद अपने आप को पवित्र एवं गौरवान्वित महसूस करते है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत सरोवर योजना के द्वारा उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों में 58 हजार तालाबों का निर्माण किया जा चुका है, जिससे उत्तर प्रदेश में जल का संचयन के साथ ही रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने वाटर हार्वेस्टिंग पर जोर देते हुए कहा कि घरों एवं सरकारी भवनों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित कराने की कार्रवाई निरन्तर की जा रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्वच्छता के लिए वर्ष 2018 में प्लास्टिक एवं थर्माकोल के प्रयोग पर रोक लगाकर मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए भी जन सामान्य को प्रेरित किया गया, जिसके द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाने वालो के लिए सब्सिडी, विद्युत एवं मुफ्त मिट्टी सुविधा मुहैया कराई गई। वर्तमान में जल जीवन मिशन के तहत प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों से वर्ष 2022 तक बिंद एवं बुंदेलखंड क्षेत्रों में देश-दुनिया से आने वाले व्यक्ति खुद में आंनद की अनुभूति करेंगे। जल जीवन मिशन के तहत प्रधानमंत्री के सपनों को साकार करते हुए बिंद एवं बुंदेलखण्ड क्षेत्रों मों हर घर जल पहुंचाने की कार्रवाई की जा रही है।
इस अवसर पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय राज्य मंत्री बिश्वेश्वर तुडु, केंद्रीय राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, पुलिस आयुक्त आलोक सिंह, मंडलायुक्त मेरठ मंडल मेरठ सेल्वा कुमारी जे, प्रभारी जिलाधिकारी एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी नोएडा/ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ऋतु माहेश्वरी तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं देश व विदेश के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।