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आक्रोशः लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने निकाला विरोध मार्च, एनटीपीसी दादरी के पास 6 दिनों से किसान दे रहे हैं धरना

रसूलपुर में अपना आंदोलन चला रहे हैं किसान, उनकी मांग पर नहीं हो रही सुनवाई, पिछले दिनों किसानों, महिलाओं पर हुआ था लाठीचार्ज

ग्रेटर नोएडा। दादरी स्थित एनटीपीसी पावर प्लांट पर धरना देकर किसानों पर पहली नवंबर को हुए लाठीचार्ज, पानी की बौछार और किसान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में किसानों ने आज मंगलवार को विरोध मार्च निकाला। इस मार्च में प्रभावित गांवों सहित आसपास के गावों के किसान काफी संख्या में शामिल थे।

किसान नेताओं की रिहाई की मांग

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने एक दर्जन से अधिक किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था और सैकड़ों लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया हुआ है। मंगलवार को किसानों उनकी रिहाई, किसानों पर से दर्ज मुकदमों को समाप्त करने और अपनी मांगों को पूरा करने की मांग के समर्थन में विरोध मार्च निकाला।

दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही हो

आंदोलनकारी किसान लाठीचार्ज के दोषी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग कर रहे थे। वे अपनी मूल मांगों के साथ इन मांगों के समर्थन में भी पिछले 2 नवंबर से रसूलपुर गांव में धरना दे रहे हैं।

आंदोलन को समर्थन

किसानों के आंदोलन और धरने को किसान संगठनों सहित अन्य लोगों ने भी अपना समर्थन दिया है। वे किसानों की मांग को जायज बता रहे हैं। उनका कहना है कि किसानों की मांग पूरी होनी ही चाहिए।

मार्च के दौरान हाथ में था लाठी

विरोध मार्च के दौरान किसान हाथ में लाठी लिए हुए थे। वे अपने सिर में हरे रंग की टोपी पहने हुए थे। इस दौरान उन्होंने पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उधर, प्रशासन ने किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए बुधवार तक का समय मांगा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गई और पूरा नहीं की गई तो वह जिलाधिकारी कार्यालय के लिए पैदल कूच करेंगे और घेराव करेंगे। वहीं वे धरना देकर प्रदर्शन करेंगे। सोमवार को सिटी मजिस्ट्रेट किसानों के पास पहुंचे थे। किसानों ने उन्हें अपना ज्ञापन दिया था।

किसानों की ये है मांग

किसानों ने बताया कि 1984 में एनटीपीसी प्लांट के लिए 24 गांव की जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उस दौरान मुआवजा बांटने में अनियमितताएं बरती गई थी।किसानों को एक समान मुआवजा नहीं दिया गया था। किसान लंबे समय से एक समान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन करते आ रहे हैं। इसके अलावा रोजगार, गांवों में विकास की मांग की जा रही है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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