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योजनाः आबादी के अनुरूप खेलों में भी नंबर वन बनेगा उत्तर प्रदेश

ओडीओपी की तर्ज पर अब हर जिले का होगा अपना खेल, संबंधित खेलों को केंद्र में रखकर ही खिलाड़ियों को मिलेगा प्रशिक्षण

लखनऊ। खेलों में उत्तर प्रदेश का अतीत गौरवशाली रहा है लेकिन सरकारी उपेक्षाओं के कारण बीच में इस पर अल्पविराम लग गया था। उप्र का युवा स्वस्थ, निरोग हो और उसकी प्रतिभा और ऊर्जा एक जनपद से निखरकर अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमके, योगी सरकार ने ऐसी तैयारी कर ली है।

24 जनवरी 2018 को उत्तर प्रदेश के प्रथम स्थापना दिवस पर योगी सरकार ने ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) योजना लांच की थी। इसका मकसद उत्तर प्रदेश की बेहद संपन्न पारंपरिक कला, कौशल एवं सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान दिलाने के साथ इससे जुड़े लोगों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करना था। योजना को सफल बनाने के लिए सरकार ने इनसे जुड़े लोगों के प्रशिक्षण, वित्तपोषण, तकनीकी सहयोग, मांग के अनुरूप उत्पाद की डिजाइनिंग व पैकेजिंग आदि पर ध्यान दिया। नतीजतन, ओडीओपी आज योगी सरकार की सफलतम योजनाओं में से है। वोकल फ़ॉर लोकल के लिए की गई यह पहल अब लोकल से ग्लोबल हो चुकी है। हाल में ही इंडोनेशिया की राजदूत इना एच. कृष्णमूर्ति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर ओडीओपी को अपने यहां भी लागू करने के बारे में बताया था। ठीक इसी तरह प्रदेश की खेल की प्रतिभाओं को निखारने के लिए सरकार ने वन डिस्ट्रिक, वन स्पोर्ट्स (ओडीओएस) योजना भी शुरू की है। इसके तहत संबंधित जिले में कौन सा खेल लोकप्रिय है। उस खेल में जिला, प्रदेश, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वहां के खिलाड़ियों का प्रदर्शन कैसा रहा है, इसे मानक बनाया गया है।

काशी,गोरखपुर कुश्ती पर लगाएंगे स्वर्णिम दांव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर समेत पूर्वांचल के देवरिया, महाराजगंज, आजमगढ़ और चंदौली का कुश्ती में स्वर्णिम इतिहास रहा है। सरकार ने यहां का ओडीओएस कुश्ती को ही बनाया है। यहां के अनेक पहलवानों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तिरंगा फहराया है। क्रिकेट के इस दौर में भी यहां के कई अखाड़े अब भी पहलवानों की नर्सरी बने हुए हैं। नागपंचमी पहलवानों की जोर आजमाइश का बड़ा दिन होता है। योगी आदित्यनाथ के संरक्षण में दशकों से इस दिन गोरखनाथ मंदिर में कुश्ती का वृहद आयोजन होता है। हरियाणा, जिसने देश को सर्वाधिक पदक विजेता पहलवान दिए हैं। उससे सटे बागपत का भी एक जिला एक स्पोर्ट्स कुश्ती ही है।

खेलों का सिरमौर बनेगा यूपी का हर जिला

केंद्र सरकार की सहमति से ओडीओएस योजना में शामिल करने के लिए 10  जिलों के खेल बदले भी गए हैं। इन सभी जिलों के खेलो इंडिया सेंटर में खिलाड़ियों की प्रतिभा निखारने का काम कुशल प्रशिक्षकों की देखरेख में जारी है। रही सही कसर शीघ्र आने वाली प्रदेश की नई खेल नीति से हो पूरी जाएगी।

बदले गए 10 जिलों के खेल

जिन 10 जिलों के खेल बदले गए हैं, उनमें मथुरा में जूडो की जगह कुश्ती, बलिया, अंबेडकर नगर,  कानपुर देहात एवं फतेहपुर में बैडमिंटन की जगह एथलेटिक्स, बहराइच में बैडमिंटन की जगह फुटबाल, श्रावस्ती में बैडमिंटन की जगह कबड्डी, झांसी, गोंडा एवं लखीमपुर खीरी में बैडमिंटन की जगह हॉकी को एक जिला एक खेल घोषित कर खेल प्रतिभाओं का चयन व प्रशिक्षण का काम जारी है।

ओडीओएस योजना

खेल व जिले

कुश्ती– वाराणसी, गोरखपुर, चंदौली, बागपत, आजगमढ़, देवरिया, महराजगंज

एथलेटिक्स – मैनपुरी, फिरोजाबाद, जौनपुर, भदोही, संभल, सीतापुर, कासगंज,  उन्नाव, अयोध्या, कौशाम्बी, एटा, अमेठी, रामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, चित्रकूट, बस्ती, हमीरपुर, हापुड़, मेरठ, गाजीपुर, शामली, बलिया और मुजफ्फरनगर

हॉकी – प्रतापगढ़, मऊ, बरेली,लखनऊ, रायबरेली, हरदोई, फर्रुखाबाद, मुरादाबाद, बलरामपुर, इटावा और गाजियाबाद

टेबिल टेनिस – आगरा, कानपुर

बैडमिंटन – अलीगढ़ और गौतमबुद्ध नगर

भारोत्तोलन – मिर्जापुर और बिजनौर

बॉक्सिंग – बुलंदशहर और कुशीनगर

तीरंदाजी – सोनभद्र और ललितपुर

फुटबाल – हाथरस

तैराकी – पीलीभीत

शूटिंग – बांदा

कबड्डी – कन्नौज

लॉन टेनिस – प्रयागराज

`खेल प्रतिभाओं को निखारने के एक यूनिवर्सल नियम है, “कैच डेम यंग”। विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि अलग-अलग क्षेत्र में लोकप्रिय खेल से जुड़ी प्रतिभाओं की सही उम्र में पहचान कर उनका प्रदर्शन बढ़ाने के लिए क्रमशः उन्हें जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाय। ओडीओएस योजना का मकसद भी यही है। हमारा प्रयास होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप आने वाले कुछ वर्षों में आबादी के अनुरूप उत्तर प्रदेश खेलों में भी सिरमौर बने।‘

नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव (खेल)

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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