जागरूकता कार्यशालाः पशुओं को भी खाना-पानी, खाना, पानी, प्यार की जरूरत होती है, इसे हमें पूरा करना चाहिए
एसीपी साइबर सुरक्षा एवं महिला वर्णिका सिंह ने जागरूकता कार्यशाला को संबोधित कर पशुओं को हमें कोई हानि नहीं पहुंचानी चाहिए
नोएडा। एसीपी साइबर सुरक्षा एवं महिला वर्णिका सिंह ने कहा कि पशु भी समाज के अभिन्न अंग है। उन्हें भी पर्याप्त मात्रा में खाना, पानी, घूमना-फिरना और प्यार की जरूरत होती है। इसे हमें उन्हें निश्चित रूप से देना चाहिए। वह शुक्रवार को नोएडा के सेक्टर 108 स्थित पुलिस आयुक्त कार्यालय के सभागार में पशु क्रूरता संरक्षण अधिनियम, भादवि की धारा 428, 429 तथा सर्वोच्च न्यायालय के केस लॉ मुस्तकीम बनाम उप्र राज्य आदि के संबंध में आयोजित जागरूकता कार्यशाला में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहीं थीं। उन्होंने कहा कि पशुओं को हानि नहीं पहुंचाना चाहिए बल्कि प्यार के साथ रखना चाहिए। सभी की जिम्मेदारी है कि वह पशुओं के साथ सही बर्ताव करें। कानून की नजर में पशु को प्रताड़ित करना अपराध है, पशुओं को परेशान करने से लोगों को रोकना चाहिए और नहीं मानने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पशु बोल नहीं सकते लेकिन उनके अंदर भावनाएं होती हैं। भावनाओं को समझते हुए हमें उनके साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए।
पशुओं के साथ क्रूरता नहीं करेः मौलेखी
पीपल फॉर एनिमल की ट्रस्टी गौरी मौलेखी ने पशु क्रूरता संरक्षण अधिनियम-1960 एवं भादवि की धारा 428, 429 के सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुलिसकर्मियों को बताया कि किस प्रकार वह थानों पर पशु क्रूरता के संबंध में आने वाले मामलों में कार्रवाई एवं उनका निस्तारण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी पशु प्रकृति को संतुलित बनाए रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस कारण उनका संरक्षण करना भी हमारा दायित्व है। पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए ही पशु क्रूरता अधिनियम बनाया गया है किंतु ज्यादातर लोग इससे अंजान हैं। इस कारण वह जानकारी के अभाव में घरेलू पशुओं या खुले में घूम रहे पशुओं के साथ हिंसा करते हैं। लोगों को पशु क्रूरता संरक्षण अधिनियम एवं भादवि की धारा 428, 429 के बारे में जागरूक करना अति आवश्यक है, जिससे पशुओं को हिंसा से बचाया जा सके। पशुओं को बिना वजह परेशान करना, मारना या गाड़ी में ठूसकर ले जाना भी पशुओं पर क्रूरता करना ही है। इस संबंध में कानूनी कार्रवाई की जाती है।
पशुओं की लड़ाई नहीं कराएं
अन्य पदाधिकारियों ने पुलिस कर्मियों को बताया कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करें कि वे खुले में पशुओं को छुट्टा नहीं छोड़े बल्कि उनकी उचित देखभाल करें। पशुओं के साथ हिंसा या पशु लड़ाई नहीं कराए। वे नियमों का पालन करते हुए ही उनका परिवहन करें जिससे उन्हें किसी प्रकार की शिकायत और कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े।
कार्यशाला में पीएफए, पीपीएफ की ट्रस्टी एडवोकेट प्रियंका बंगारी सहित अन्य पदाधिकारी, 80 पुलिसकर्मी शामिल थे। कार्यशाला के समापन के बाद उपस्थित अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों को पशु क्रूरता संरक्षण से संबंधित बुकलेट भी बांटे।