जेब होगी खालीः प्रशासन को अब आया याद, मकान मालिक व किरायेदार की जेब होगी हल्की
जिले में स्थित मकान मालिक और किरायेदार दोनों को रेंट एग्रीमेंट पर देना होगा दो फीसद स्टांप शुल्क
नोएडा। यदि आप गौतमबुद्ध नगर जिले खासतौर से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मकान मालिक या किरायेदार हैं तो आप के लिए बुरी खबर है। जल्दी ही आप की जेब हल्की होने वाली है। कारण यह है कि जिला प्रशासन को एक बात याद आ गई है जिसे वह लागू करने जा रहा है। इसके लागू होने के बाद है कि किरायेदार और मकान मालिक दोनों की जेब पर असर पड़ेगा।
क्या है मामला
गौतमबुद्ध नगर जिले के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) को एक बात याद आ गई है कि किरायेदार और मकान मालिकों के बीच होने वाला किरायेदार के करार पर जिला प्रशासन का भी हक होता है। दोनों के बीच जो करार होता है और इसके लिए जितने का स्टांप लगता है। उसका दो फीसद जिला प्रशासन का होता है। हालांकि यह आदेश पुराना है। किसी अधिकारी को याद नहीं आया। अब जबकि यह याद आ गया है तो इसे लागू करने जा रहा है।
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार किराये के घरों में रहने वाले लोगों के लिए जो किरायानामा तैयार किए हैं और जितने के स्टांप पर ये बनाए जाते हैं उसमें दो प्रतिशत स्टांप शुल्क जिला प्रशासन का होता है। लेकिन इसके पहले किसी अधिकारी का इस पर ध्यान गया। इससे दो फीसद स्टांप शुल्क की वसूली किसी ने नहीं हो सकी। इससे राजस्व की अब तक काफी हानि हो चुकी है। इसे जिला प्रशासन अब सहने के लिए तैयार नहीं है।
जिले के अधिकांश लोगों पर पड़ेगा प्रभाव
जिला प्रशासन ने अब जिले में स्थित सभी किरायेदारों और मकान मालिकों से स्टांप शुल्क लेने का फैसला कर चुका है। इस फैसले का प्रभाव जिले के सभी किरायेदारों और मकान मालिकों पर पड़ेगा।
मांगा गया विस्तृत ब्यौरा
जिला प्रशासन ने गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित खासतौर से नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट और ग्रेटर नोएडा में स्थित विभिन्न सोसायटियों, कालोनियों, निजी हो या सरकारी सभी की रेजीडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशनों (आरडब्ल्यूए), और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशनों (एओए) आदि से किराये के फ्लैट्स में रह रहे लोगों और फ्लैट के मालिकों ने फ्लैट्स को किराये पर दिया है उसका विस्तृत ब्यौरा मांगा है। यह कामर्शियल (व्यावसायिक) और रेजिडेंसियल (आवासीय) दोनों पर लागू होगा।
इसी महीने से हो सकता है लागू
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि दो फीसद स्टांप शुल्क वसूली की प्रक्रिया इसी महीने से लागू हो सकती है। जिन लोगों का 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट हुआ है और वह रजिस्टर्ड नहीं है तो भी उन्हें दो फीसद स्टांप शुल्क देना होगा।
किरायेदार पर अधिक बोझ पड़ेगा
कोई भी मकान मालिक जिला प्रशासन को दो फीसद का अतिरिक्त स्टांप शुल्क देना पसंद नहीं करेगा। इसलिए इसका बोझ बिजली और पानी के बिल की तरह की किरायेदार पर पड़ेगा माना जा रहा है। मकान मालिक से इसका मौखिक करार किरायेदार से कर सकता है। इसी शर्त पर वह अपना मकान किराये पर देने पर राजी होगा। किरायेदार की मजबूरी होगी कि वह मकान मालिक के इस शर्त को भी मान ले। क्यों कि किराये के मकान में रहना उसकी मजबूरी होगी।