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बढ़ेगी मुसीबतः सुपरटेक सहित पांच बिल्डरों पर जिला प्रशासन करेगा जल्दी की कार्रवाई

इनमें जेएसएस, महागुन, ला-रेजिडेंसिया, अंतरिक्ष भी शामिल, इन पर करीब 53 करोड़ रुपये बकाया

नोएडा। सुपरटेक सहित पांच बिल्डरों पर मुसीबत बढ़नी तय है। इन पर बकायों की वसूली के लिए जिला प्रशासन जल्दी ही कार्यवाही करेगा। कार्यवाही के तहत इनके कार्यालय को सील करने के साथ ही प्रबंधन की गिरफ्तारी भी हो सकती है। इन बिल्डरों में जेएसएस, महागुन, ला-रेजिडेंसिया, अंतरिक्ष भी शामिल हैं। इन पर रेरा का करीब 53 करोड़ रुपये बकाया है।

किस पर कितना है बकाया

सुपरटेक 33 करोड, जेएसएस पर आठ करोड़, महागुन पर सात करोड़, अंतरिक्ष पर तीन करोड़ और ला-रेजिडेंसिया पर दो करोड़ रुपये बकाया है। इनसे बकाये धनराशि की वसूली के लिए जिला प्रशासन कई बार नोटिस जारी कर चुका है। सुपरटेक ने कुछ राशि तो जमा भी की थी लेकिन उस पर फिर बकाये की राशि बढ़ गई है। उस राशि सहित पहले से बकाया राशि को सुपरटेक ने जमा नहीं किया है। इसके अलावा अन्य बिल्डर भी अभी तक बकाये राशि को चुकाने के लिए न तो जिला प्रशासन से संपर्क किया है और न ही भुगतान की कोई कार्यवाही की है।

ईडी ने किया था गिरफ्तार

ईडी ने पिछले दिनों सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया था। इससे पहले भी दादरी के उप जिलाधिकारी ने सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा को गिरफ्तार किया था लेकिन बकायों के भुगतान के वादे पर कुछ देर बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया था। सुपरटेक कुछ राशि का भुगतान भी किया था लेकिन उसके बाद इस कंपनी पर देनदारी और बढ़कर बराबर हो गई है।

निवेशकों की चिंता बढ़ी

सुपरटेक सहित पांच बिल्डरों पर जिला प्रशासन की कार्रवाई की तलवार लटकते देखकर इन बिल्डरों के यहां घर खरीद के लिए निवेश करने वालों की चिंता बढ़ गई है। पहले उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें उनका आशियाना मिल जाएगा लेकिन जिला प्रशासन की कार्रवाई के बढ़ते खतरे को देखकर उन्हें आशियाना जल्दी मिलने की आस धूमिल होती जा रही है। कई लोगों को आशियाने के लिए निवेश किए हुए करीब सात-आठ साल हो गए हैं। उन्हें दो साल बाद ही आशियान देने का वादा किया गया था लेकिन पांच-छह साल अधिक गुजर जाने के बावजूद उन्हें अभी तक आशियाना मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। इन पांचों बिल्डरों के यहां विभिन्न परियोजनाओं में करीब 50 हजार निवेशक फंसे हुए हैं। सबसे अधिक 27 हजार निवेशक सुपरटेक में फंसे हैं जो अपने आशियाने का इंतजार कर रहे हैं।

रजिस्ट्री कराने की मांग

उधर, सुपरटेक सहित विभिन्न बिल्डरों के कुछ लोगों को आशियाना तो मिल गया है लेकिन उनकी रजिस्ट्री उनके नाम नहीं होने से उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वे अपने घर की रजिस्ट्री कराने की मांग करने लगे हैं। कई सोसायटियों के निवासी तो इसी मांग को लेकर हर सप्ताह रविवार को बकायदा धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी हाल में ही मुख्यमंत्री के गौतमबुद्ध नगर जिले में दौरे के दौरान विभिन्न सोसायटियों के लोगों ने मुख्यमंत्री के साथ इसी मुद्दे पर बैठक की थी। इसी बैठक में मुख्यमंत्री उन्हें उचित कार्यवाही का भरोसा दिलाया था। इसी बाद तो बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही करने का सिलसिला बढ़ गया है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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