शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को जमानत न मिलने से महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार भी परेशान है। महाराष्ट् में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किशोर तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके एनसीबी के खिलाफ गुहार लगाई है। तिवारी ने सीजेआई एनवी रमण से इस मामले में ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ के आधार पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। तिवारी की याचिका में सबसे खास बात ये है कि उन्होंने महाराष्ट्र में एनसीबी की भूमिका की जांच कराने की मांग कर दी है। एनसीबी यानी केन्द्र सरकार की एजेंसी की महाराष्ट्र में जो दहशत कायम हो गई है, उससे शिवसेना को दिक्कत महसूस हो रही है। शायद इसीलिए शिवसेना ने अपने मंत्री को आर्यन खान के बहाने एनसीबी के खिलाफ मोर्चा खोलने की हरी झंडी दी।
शिवसेना की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 का हवाला देते हुए सबसे बड़ा तर्क दिया गया है कि आर्यन के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। याचिका के मुताबिक आर्यन को 17 रातों तक जेल में रखना और मेरिट के आधार पर जेल से बाहर न आने देना जानबूझकर किया जा रहा है। यह संविधान में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की पूरी तरह से अवहेलना है। याचिका में आर्यन के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन मामले की जांच शीर्ष अदालत के एक मौजूदा न्यायाधीश से कराने का आदेश देने की मांग की गई है। उन्होंने कहा, पिछले लगभग दो सालों से ‘दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों’ के साथ एनसीबी पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है और फिल्मी हस्तियों, मॉडलों व अन्य सेलिब्रिटी को परेशान कर रहा है।
वैसे शिवसेना ने भले ही शाहरुख के बेटे का समर्थन किया हो, लेकिन असली निशाना एनसीबी पर बताया जा रहा है। जब से केन्द्र सरकार एनसीबी को महाराष्ट्र में ड्रग्स रैकेट के खिलाफ शिकंजा कसने के काम में लगाया है., उसने पूरे महाराष्ट्र को हिला रखा है। ऐसे में शिवसेना सरकार चाह कर भी एनसीबी को काबू नहीं कर पा रही है। तो अब सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए लगाम लगाने की कोशिश कितनी कामयाब होती है, ये देखने वाली बात होगी ?