शिवपाल-आजम की नाराजगी का सपा पर पड़ेगा विपरीत असर
प्रहलाद वर्मा, नोएडा। उत्तर प्रदेश में विधानसभा मे विधान परिषद की रिक्त सीटों के चुनाव हो चुके हैं। चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को दोनों में ही भारी सफलता मिली है। इस चुनाव परिणाम के साथ ही समाजवादी पार्टी (सपा) और उसके गठबंधन दलों में असंतोष के सुर भी उठने लगे हैं। प्रसपा के नेता शिवपाल सिंह यादव सपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े थे। वे चुनाव जीते भी। शिवपाल सिंह यादव प्रसपा संस्थापक होने के साथ ही सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव के चाचा और सपा सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के सगे अनुज हैं।
अखिलेश सिंह यादव ने लोकसभा का चुनाव आजमगढ़ से लड़कर सांसद बने थे। उन्होंने विधानसभा का चुनाव करहल से लड़ा और चुनाव जीते। विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश और सपा नेताओं को पूरा विश्वास था कि उनकी पार्टी विधानसभा में सपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलेगा और सपा गठबंधन दलों के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। चुनाव परिणाम ठीक इसके उल्टा रहा। परिणाम भाजपानीत गठबंधन दलों के हक में रहा। योगी आदित्य नाथ की अगुवाई में भाजपा ने सरकार का गठन कर लिया।
चूंकि अखिलेश लोकसभा और विधानसभा दोनों के सदस्य हो गए थे। इसलिए नियमानुसार उन्हें दोनों में किसी एक को अपने पास रखकर एक से इस्तीफा देना जरूरी हो गया था। अखिलेश ने अपने पास विधानसभा की सीट रखकर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना अधिक उचित समझा। उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। अखिलेश के लोकसभा की सीट से इस्तीफा देने और खुद नेता विरोधी दल होने का निर्णय लेते ही शिवपाल सिंह यादव नाराज अखिलेश से नाराज गए। दरअसल, अखिलेश ने पहले शिवपाल सिंह यादव को सपा विधान मंडल दल का नेता बनाया था। इस शिवपाल को उम्मीद थी कि विधानमंडल दल का नेता होने के कारण वे ही नेता विरोधी दल होंगे। लेकिन अखिलेश के नेता विरोधी दल होने की घोषणा करते ही वे नाराज हो गए।
विधान परिषद का चुनाव परिणाम शिवपाल सिंह यादव की नाराजगी में आग में घी डालने का काम किया। विधान परिषद की रिक्त 36 सीटों में 33 सीटें भाजपा ने जीत ली। तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मार ली। ये निर्दलीय उम्मीदवार भी भाजपा के बागी थे। इस चुनाव में सपा का सूपड़ा पूरी तरह से साफ हो गया।। अपनी नाराजगी को लेकर शिवपाल अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मिले और मामले पर विचार-विमर्श किया। मुलायम से शिवपाल ने अपनी उपेक्षा और सम्मान नहीं मिलने की शिकायत की। मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को सलाह दी है कि उन्हें जहां सम्मान मिले वहां चले जाएं। शिवपाल, मुलायम की पिता की तरह सम्मान देते हैं। यही कारण है कि सपा से अलग प्रसपा का गठन करने के बाद भी वे मुलायम की इजाजत के बगैर कोई काम नहीं करते। लेकिन शिवपाल अब मुलायम से भी मोहभंग हो रहा है। आजम खां के मामले में उन्होंने पहली बार मुलायम सिंह यादव पर भी हमला बोला है