RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले— दादी और नानी के नुस्खों को विदेशी समझते थे टोना, कोविड में विदेशियों ने इन्हीं पर जताया भरोस
कोरोना ने पूरी दुनिया को भारतीय संस्कृति और ग्रामीणों की ताकत का लोहा मनवाया है। दादी और नानी के नुस्खों से बनने वाले काढ़े ने कोरोना को हराया है। योग और आयुर्वेद को विदेशी टोना समझते थे। लेकिन कोरोना में दुनिया ने इन दोनों पर भरोसा जताया है। आज पूरी दुनिया योग की तरफ बढ़ रही। योग और आयुर्वेद की ताकत को समूचा विश्व पहचान रहा है।
यह कहना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख डॉक्टर मोहन भागवत का। मोहन भागवत रविवार को ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी पहुंचे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, आज पूरी दुनिया सेक्यूलरिज्म और टिकाऊ विकास की बात कर रही है। बीते युगों से भारत इन दोनों आधारों पर टिका हुआ है। इन्हीं से भारत विश्वगुरु बनने की तरफ बढ़ रहा है।
मोहन भागवत ने कहा, प्राकृतिक रूप से भारत चारों तरफ से सुरक्षित है और स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पूरी दुनिया के राष्ट्र एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्पन्न हुए हैं। उस लक्ष्य को हासिल करने के बाद उनका अवसान हो जाता है। जब इतिहास का जन्म हुआ तो उसने हमें राष्ट्र के रूप में देखा था। हमारा राष्ट्र सनातन है। तब भी विविधता थी। हम तब भी बहुभाषी थे और आज भी। अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त में कहा गया है, हम पृथ्वी के पुत्र हैं। सीमा का कोई उल्लेख नहीं था। समृद्धि थी तो बाहर से आने वालों से कोई विवाद नहीं था। सारे विश्व को अपना परिवार मानने वाला वैविध्यपूर्ण समाज उस समय से आज तक चल रहा है। उन्होंने आगे कहा, शक, कुषाण, हूण, यवन, ब्रिटिश और पुर्तगाल वाले आए और हमले किए।
आज का प्रजातंत्र यही है। हमारे मत भिन्न हैं लेकिन एकसाथ चलेंगे। रास्ते अलग होते हैं लेकिन सब एक स्थान पर जाते हैं। इसलिए समन्वय में चलो। क्योंकि, यह देश धर्मपरायण है। धर्म प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य निर्धारण करता है। भारत की यात्रा को धर्म नियंत्रित करता है। मोहन भागवत ने कहा कि वैभव और बल संपन्न भारत चाहिए। सत्य की स्थापना के लिए बल अवश्य चाहिए। धर्म के चार आधार पर हमारा आचरण होना चाहिए। जन, जंगल और जानवर भी देश का हिस्सा हैं। अंग्रेजों ने व्यवस्था भारत को विकसित करने के लिए नहीं बल्कि लूटने के लिए बनाई थी। उन्होंने भारतीयों को अपना काम पूरा करने के लिए अनुशासन में रखा। अपना काम चलाने के लिए सड़क, रास्ते और रेल बनाए थे। हम लक्ष्मी के उपासक हैं, गरीबी के नहीं हैं। हमारे पास अपना तकनीकी ज्ञान है। युवाओं के पास टैलेंट की कमी नहीं है।