लुभावने विज्ञापन देकर बेच रहे थे बेशकीमती जमीन, हुई कड़ी कार्रवाई
हाई कोर्ट से स्टे के कारण यमुना अथारिटी को रोकनी पड़ी कार्रवाई
नोएडा। ग्रेटर नोएडा के जेवर एयरपोर्ट का काम शुरू होते ही नोएडा, जेवर और ग्रेटर नोएडा में जमीनों के भाव काफी बढ़ गए हैं। यहां तक ये भाव आम लोगों की पहुंच से काफी दूर हो गए हैं। दूसरी ओर एयरपोर्ट का नाम लेकर फर्जी तरीके से जमीनों को खरीदने और बेचने का धंधा तेजी से फल—फूल रहा है।. ऐसा ही एक मामला ग्रेटर नोएडा के दनकौर में सामने आया है। यहां 50 करोड़ रुपये की अनुमानित कीमत की बेशकीमती जमीन को अवैध तरीके से बेचने का मामला पकड़ में आया है। जमीन यमुना अथॉरिटी की है। लेकिन उसे अवैध तरीके से बेची जा रही थी। बुधवार को यमुना अथॉरिटी ने यहां बना लिए गए सभी अवैध निर्माण गिरा दिए और जमीन को अपने कब्जे में ले लिया। लेकिन अथॉरिटी की कार्रवाई के दौरान हाईकोर्ट में इस मामले से जुड़ी एक याचिका दाखिल हो गई। जिस कारण यमुना अथॉरिटी को अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ी।
यमुना अथॉरिटी से जुड़े अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया और अखबारों में लुभावने और जेवर एयरपोर्ट के पास जमीन होने के विज्ञापन दिए जा रहे थे। विज्ञापन के जरिए बताया जा रहा था कि जेवर एयरपोर्ट और फिल्म सिटी के पास सस्ती जमीन खरीदने के मौके का फायदा उठाएं। इसी कारण इस जमीन पर लगातार प्लाट काटे जा रहे थे। जमीन पर कुछ मकानों का निर्माण भी कुछ लोगों द्वारा कर लिया गया था। बहुत सारे लोगों ने यहां प्लाट खरीद लिए थे। खास बात यह है कि यमुना अथॉरिटी लगातार चेतावनी जारी कर रही थी कि लोग भू-माफियाओं के झांसे में नहीं आएं। अथॉरिटी की ओर से नोटिस भी जारी किए गए थे। जमीन गैरकानूनी तरीके से बेची जा रही है। उधर, इसके विपरीत स्थानीय किसानों ने दावा किया है कि यह जमीन आबादी की है। सेटेलाइट सर्वे में भी यह बात साबित हो चुकी है। अथॉरिटी के नोटिस का जवाब भी दिया जा चुका है।
यमुना अथॉरिटी ने 50 करोड़ की जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए 15 दिन पहले से योजना बनानी शुरू कर दी थी। यमुना प्राधिकरण ने योजना को बेहद गोपनीय रखा था. लेकिन बुधवार को जब जमीन पर कार्रवाई चल रही थी तो अथॉरिटी के अधिकारियों के पास हाईकोर्ट से अथॉरिटी के वकील का फोन आ गया। वकील का कहना था कि किसानों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है. इस कारण कार्रवाई को रोकना पड़ेगा। इसके बाद ही कार्रवाई को बीच में रोक दिया गया। इसी के साथ ही योजना लीक होने की जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। जांच का जिम्मा एसीईओ मोनिका रानी को दिया गया है।