Baba Ramdev और Acharya Balkrishna सुप्रीम कोर्ट में हुए पेश, भ्रामक विज्ञापन पर मांगी मांफी
सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों पर अपने निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि की तरफ से दाखिल हलफनामे पर असंतोष जाहिर किया। कोर्ट से बाबा रामदेव ने बिना शर्त माफी मांगी। भ्रामक विज्ञापन मामले से संबंधित अवमानना कार्यवाही में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। पतंजलि ने हलफनामा दाखिल किया है, जिसके एमडी बालकृष्ण हैं।
कंपनी के खिलाफ दायर भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण सर्वोच्च न्यायालय ममें पेश हुए। फरवरी में, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने बाबा रामदेव और उनके सहयोगी से जवाब मांगा कि अदालत के पिछले आदेश का उल्लंघन क्यों किया गया। शीर्ष अदालत ने कहा कि पतंजलि द्वारा जारी किए गए विज्ञापन, जिसमें रामदेव का चेहरा शामिल है, कंपनी के पिछले उपक्रमों का सीधा उल्लंघन है।
बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होकर माफी मांगना चाहते थे। न्यायालय ने कहा कि हलफनामा पहले आना चाहिए था। न्यायालय ने इस बात पर सवाल उठाया कि 21 नवंबर को कोर्ट में हलफनामा देने के बाद भी पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापन दिया। रामदेव ने अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस भी की। रामदेव के वकील ने कहा कि उन्हें सबक मिल गया है। हमारी तरफ से अवमानना कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने पर ही सबक मिलेगा। वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दखल दिया और कहा कि वह वकीलों से बात कर उचित हलफनामा दाखिल करवाएंगे। मेहता ने यह भी कहा कि एलोपैथी की आलोचना हो ही नहीं सकती, यह कहना गलत है। याचिकाकर्ता IMA को ऐसा दावा नहीं करना चाहिए। इस मामले में कोर्ट फिर सुनवाई करेगा।