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नोएडा

सुपरटेक की एक और कंपनी दिवालिया घोषित, अब बैंक लेने जा रहा है ये एक्शन

नोएडा : सेक्टर-94 में स्थित सुपरनोवा परियोजना पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने इस लग्जरी आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना लिए दिवालिया प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। यह कदम बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा दायर याचिका के बाद उठाया गया है, जिसमें डेवलपर सुपरटेक पर 168.04 करोड़ रुपये के ऋण का भुगतान न करने का आरोप लगाया गया था। जिसके एवज में उसने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। इसके बाद बैंक ने यह कदम उठाने का निर्णय लिया. बताया जा रहा है कि दिवालिया की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी ।

लोगों को लगा बड़ा झटका
एनसीएलटी के फैसले से उन लोगों को बड़ा झटका लगा है, जिन्होंने सुपरनोवा बिल्डिंग में फ्लैट बुक करा रखा है । बताया जा रहा है कि इस बिल्डिंग में कई सेलेब्रिटी ने भी अपना घर बुक करा रखा है । इन फ्लैट्स की कीमतें भी बिल्डिंग की ऊंचाई, जितनी ही हाई है। अब लोगों को फ्लैट के पजेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है । क्योंकि आगे की प्रक्रिया काफी लंबी होने वाली है। अगर सुपरटेक रियलटर कंपनी दिवालिया घोषित हो जाती है, तो कोई दूसरी कंपनी इस प्रोजेक्टी का काम पूरा करेगी । ऐसे में काफी समय लग सकता है ।

2012 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट
सुपरनोवा बिल्डिंग का काफी काम अभी अधूरा है। इस बिल्डिंग में 80 मंजिल बनाना प्रस्ताुवित है, लेकिन अभी तक सिर्फ 70 मंजिल ही बन पाई हैं। अभी 10 मंजिल और बनानी बाकी हैं, उसके बाद इंटीरियर का काम भी होगा। यानि अगर कोई दूसरा बिल्डैर भी इसे बनाना शुरू करता है, तो उसे भी काफी समय लग जाएगा। सुपरटेक रियलटर कंपनी ने 70 हजार वर्गमीटर में बनाए जा रहे इस प्रोजेक्टब को 2012 में शुरू किया था। लगभग 12 साल इस प्रोजेक्टम को हो गए हैं। आगे कितने साल लगेगे इसे पूरा होने में, अब ये कहना बेहद मुश्किल है।

2100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया
सुपरटेक रियलटर कंपनी ने सुपरनोवा बिल्डिंग को बनाने के लिए यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्वक वाले बैंकों के कंसार्टियम से लगभग 735 करोड़ रुपये की मदद मांगी थी। इसमें से 150 करोड़ रुपये बैंक ऑफ महाराष्ट्रो ने दिया था। अब यह रकम व्याज के साथ लगभग 168 करोड़ रुपये हो गया है। महाराष्ट्र बैंक ने इस रकम को वसूलने के लिए सुपरटेक रियलटर कंपनी को काफी बार नोटिस भेजा, लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला, जिससे बैंक को एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाना पड़ा। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण का भी परियोजना पर 2100 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है।

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