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ऐसे होगा क्राइम कंट्रोल : नोएडा सेंट्रल जोन में बीट सिस्टम लागू, घटना होने पर दरोगा और सिपाही होंगे जिम्मेदार, जानिए क्या हैं लाभ

ग्रेटर नोएडा वेस्ट (मुकेश पंडित) : आपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सेंट्रल नोएडा जोन में बीट सिस्टम (Beat System) लागू किया गया है। सभी बीट्स की जिम्मेदारी उपनिरीक्षक और कांस्टेबल को सौंपी गई है। कोई भी घटना होने पर यह दोनों जिम्मेदार होंगे।

39 पुलिस चौकियों को 160 बीट में बांटा
सेंट्रल नोएडा जोन की कमान संभालने के बाद नए डीसीपी शक्तिमोहन अवस्थी ने नई पहल की है और प्रभावी ढंग से क्राइम कंट्रोल करने के लिए जोन की 39 पुलिस चौकियों को 160 बीट में बांटा गया। सभी बीट की जिम्मेदारी उपनिरीक्षक और सिपाही को सौंपी है। डीसीपी अवस्थी के अनुसार, बीट में कोई घटना होने पर इसके लिए सीधे वहीं जिम्मेदार होंगे।

बीट सिस्टम से क्या होंगे लाभ?
पुलिस को भरोसा है कि 160 बीट में बांटे गए क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति में गुणात्मक सुधार होगा और लोगों की समस्याओं के समाधान में गुणवत्ता बढ़ेगी। साथ ही महिला संबंधित अपराधों व लूट की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। क्षेत्र में पुलिस की विजिबिलिटी बढ़ेगी और आमजन में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा होगा। देर रात पुलिस की पेट्रोलिंग व्यवस्था को और दुरुस्त किया जाएगा, जिले में इतने बड़े स्तर पर बीट प्रणाली की व्यवस्था पहली बार लागू की गई है।

क्या होती है पुलिस बीट?
आमजन के मन में सुरक्षा का भाव का बनाए रखने, अपराध रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के मकसद से थाना क्षेत्र को छोटे-छोटे इलाकों में बांट दिया जाता है। उसे छोटे इलाके को ही बीट (Beat) कहा जाता है।

कौन होता है बीट कांस्टेबल
पुलिस की बीट प्रणाली में हर एक बीट की जिम्मेदारी एक हेड कांस्टेबल या कांस्टेबल की होती है। बीट कांस्टेबल अपनी बीट के अपराधियों, वांछितों और हिस्ट्रीशटर की रखनी रखनी होती है। साथ ही क्षेत्र के गणमान्य लोगों की जानकारी जुटाता है। सीनियर सिटीजन से मिलकर उनकी दिक्कतों के बारे में पूछना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी बीट कांस्टेबल की जिम्मेदारी है। समस्त जानकारी को वह थाना प्रभारी एवं अन्य उच्च पदस्त अधिकारियों को अवगत कराता है। लेकिन अब बीट की व्यवस्था को पुलिस ने अपनाना ही बंद कर दिया था। यह दावा ही हैरानी भरा है कि सेंट्रल नोएडा में पहली बार बीट सिस्टम को लागू किया गया है। यानी गौतमबुद्ध नगर कमिशनररेट में ढांचागत दिक्कतें हैं।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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