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सुप्रीम रोक : बिना कोर्ट की इजाजत 1 अक्तूबर तक देश में नहीं होगी बुलडोजर कार्रवाई

नई दिल्ली: (एफबीएन/एजेंसी) देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर की कारवाई पर रोक लगाने का महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। अगली सुनवाई एक अक्टूबर को होगी, तब तक कोर्ट की अनुमति के बिना कहीं भी किसी भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकेगा।
राज्यों को दिया निर्देश, न हो तोड़फोड़
कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई यानी 1 अक्तूबर तक न्यायालय की अनुमति के बिना देशभर में कहीं भी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकेगा। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर किसी भी अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होगा।
यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ
अपने फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला हो, तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि देश भर के अधिकारी बिना अनुमति के अपराध के आरोपियों की संपत्ति नहीं गिराएंगे।
उत्तर प्रदेश में खूब चढ़ा बुलडोजर रंग
अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर की मदद से मकान ध्वस्त करने की यह कारवाई असल में उत्तर प्रदेश से शुरू हुई थी। अपराधियों और दबंगों को सबके सिखाने के उद्देश्य से बुलडोजर से घर गिराने का एक ट्रेंड सा चल गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को बुलडोजर बाबा जैसे नामों से महिमामंडित किया जाने लगा। इसकी देखादेखी भाजपा शासित राज्यों में बुलडोजर से कथित अपराधियों के घरों के ध्वस्तीकरण की मानो जैसे कोई होड़ ही लग गई। आखिर सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर अपने निर्देश जारी करके फिलहाल रोक लगा दी है।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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