×
उत्तराखंड

पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने फटी जींस पर फिर दिया बयान

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर लाखों के समर्थन का किया दावा

गढ़वाल। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक बार फटी जींस पर फिर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि फटी जींस पहनना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। रावत ने कहा कि उनके इस बयान पर लोगों ने ट्वीटर, फेसबुक सहित सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर उन्हें खूब समर्थन मिला है। भारतीय पहनावे को लेकर लोग मेरे समर्थन में आए हैं। आज के युवा खुद अपने कपड़ों को चाकू से काट रहे हैं। मै आज भी अपने बयान पर टिका हूं। फटा कपड़ा पहनना हमारी संस्कृति में है ही नहीं।

पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वे अभी भी अपने इस बयान को लेकर गर्व महसूस करते हैं और लाखों लोगों ने भी उनके इस बयान को स्वीकारा है.

दरअसल, श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित इसकॉन के एक धार्मिक कार्यक्रम में रावत ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। यहां कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बार फिर फटी जींस को लेकर अपनी राय सबके सामने रखा। उन्होंने कहा कि वे जींस के विरोधी नहीं हैं लेकिन फटी जींस के विरोधी हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेज भारत में आकर साड़ी पहनते हैं और यहां के लोग अपनी संस्कृति को भूलकर पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ रहे हैं। फटी जींस से हमारा आचरण दिखता है.

बता दें कि रावत ने पहले कहा था कि उन्हें जींस से कोई ऐतराज नहीं है और वह खुद भी जींस पहनते थे. ‘फटी जींस’ पहनने की बात उन्होंने संस्कारों के परिप्रेक्ष्य में कही थी। उन्होंने कहा, ”अगर किसी को लगता है कि ‘फटी जींस’ ही पहननी है तो मुझे उससे कोई ऐतराज नहीं है। अगर किसी को बुरा लगता है तो मैं उनसे क्षमा मांगता हूं। साथ ही कहा कि अगर हम बच्चों में संस्कार और अनुशासन पैदा करेंगे तो वे भविष्य में कभी असफल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि मेरी भी बेटी है और यह मुझ पर भी लागू होता है। मैंने घर पर संस्कारों की बात कही है। वातावरण कैसा हो। केवल किताबी ज्ञान नहीं। बच्चों में संस्कार भी पैदा करना चाहिए. चाहे वह लड़का हो या लड़की।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Tags

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Related Articles

Back to top button
Close