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राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर डीएम ने किया रक्तदान, रक्तदाताओं की दी प्रेरणा

नोएडा (फेडरल भारत नेटवर्क) : जिलाधिकारी मनीष वर्मा ने मंगलवार को राजकीय जिला संयुक्त चिकित्सालय में रक्तदान शिविर में पहुंचकर रक्तदान किया और युवाओं को रक्तदान का महत्व बताते हुए इसके लिए प्रेरित किया।
डीएम ने की रक्तदान की अपील
राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस के अवसर पर
जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा जिला अस्पताल पहुंचे रक्तदान शिविर का शुभारंभ कियाय़। उन्होंने स्वयं भी रक्तदान किया। डीएम ने आम जनसाधारण से भी अपील की है कि रक्तदान महादान होता है, इसलिए अधिक से अधिक लोग रक्तदान शिविर में पहुंचकर रक्तदान अवश्य करें।
क्यों है रक्‍तदान की आवश्‍यकता
जीवनदायी रक्‍त को एकत्रित करने का एकमात्र उपाय है रक्‍तदान। स्‍वस्‍थ लोगों द्वारा किए गए रक्‍तदान का उपयोग जरूरतमंद लोगों को खून चढाने के लिये किया जाता है। सर्जरी के बढ़ते मामलों से बीमारियों आदि से खून चढाने की जरूरत में कई गुना वृद्धि हुई है। लेकिन रक्‍तदाताओं की कमी वैसी ही बनी हुई है। लोगों में यह धारणा है कि रक्‍तदान से कमजोरी आती है, जो पूरी तरह गलत है। आजकल चिकित्‍सा क्षेत्र में कॅम्‍पोनेन्‍ट थैरेपी विकसित हो रही है, इसके अंतर्गत रक्‍त की इकाई से रक्‍त के विभिन्‍न घटकों को पृथक कर जिस रोगी को जिस रक्‍त की आवश्‍यकता है दिया जा सकता है। इस प्रकार रक्‍त की एक इकाई कई मरीजों के उयोग में आ सकती है।
खून चढाने की जरूरत
जीवन बचाने के लिए खून चढ़ाने की जरूरत पडती है। दुर्घटना, रक्‍तस्‍त्राव, प्रसवकाल और ऑपरेशन आदि अवसरों में शामिल है, जिनके कारण अत्‍यधिक खून बह सकता है और इस अवसर पर उन लोगों को खून की आवश्‍यकता पडती है। थेलेसिमिया, ल्‍यूकिमिया, हीमोफिलिया जैसे अनेंक रोगों से पीडित व्‍यक्तियों के शरीर को भी बार-बार रक्‍त की आवश्‍यकता रहती है अन्‍यथा उनका जीवन खतरे में रहता है। जिसके कारण उनको खून चढाना अनिवार्य हो जाता है।
रक्‍त कौन दे सकता है?
ऐसा प्रत्‍येक पुरूष अथवा महिला:-
• जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो।
• जिसका वजन (100 पौंड) 48 किलों से अधिक हो।
• जो क्षय रोग, रतिरोग, पीलिया, मलेरिया, मधुमेंह, एड्स आदि बीमारियों से पीडित नहीं हो।
• जिसने पिछले तीन माह से रक्‍तदान नहीं किया हो।
• रक्‍तदाता ने शराब अथवा कोई नशीलीदवा न ली हो।
• गर्भावस्‍था तथा पूर्णावधि के प्रसव के पश्‍चात शिशु को दूध पिलाने की 6 माह की अवधि में किसी स्‍त्री से रक्‍तदान स्‍वीकार नहीं किया जाता है।
कितना रक्‍त लिया जाता है?
• प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्‍त का क्षय होता रहता है ओर प्रतिदिन नया रक्‍त बनता है रहता है।
• एकबार में 350 मिलीलीटर यानि डेढ पाव रक्‍त ही लिया जाता है (कुल रक्‍त का 20 वॉं भाग)
• शरीर 24 घंटों में दिये गये रक्‍त के तरल भाग की पूर्ति कर लेता है।
• ब्‍लड बैंक रेफ्रिजरेटर में रक्‍त 4 – 5 सप्‍ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
रक्‍त दान कहां करें
रक्‍तदान किसी भी लाइसेंस युक्‍त ब्‍लड बैंक में किया जा सकता है। यह सुविधा सभी जिला-चिकित्‍सालयों में भी उपलब्‍ध है। मान्‍यताप्राप्त एजेंसियों जैसे रोटरी क्‍लब, लायंस क्‍लब आदि द्वारा समय-समय पर रक्‍तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। इनमें से किसी भी अधिकृत सील पर आप स्‍वैच्‍छा से निश्चित होकर रक्‍तदान कर सकते हैं।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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