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स्मार्ट विलेज मिलक लच्छी : विकास के नाम पर ‘आहें ’ भरता एक गांव, सीएम को भेजा पत्र, एक बार आकर देखिए स्मार्ट गांव की हकीकत

ग्रेटर नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) : स्मार्ट विलेज की श्रेणी में चयनित ग्रेटर नोएडा का गांव मिलक लच्छी विकास की बाट जोह रहा है। गांव पर स्मार्ट का टैग तो लगा दिया गया, परंतु आठ माह की लंबी अवधि बीत जाने पर भी गांव में विकास के कार्य अधर में लटके पड़े हैं। जोर-शोर से शुरू हुए विकास के काम अब धीरे-धीरे दम तोड़ रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी और प्रमुख वजह ठेकेदारों के बिलों का भुगतान नहीं होना है।
विकास को तरसे स्मार्ट विलेज के ग्रामीण
क्षेत्र प्रमुख कर्मवीर नागर बेहद अफसोस के साथ कहते हैं कि गांव पर ‘चौबे जी छब्बेजी बनने चले थे और दूबेजी भी नहीं बने’ की कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हो रही है। वह कहते हैं कि लगभग ढाई वर्ष पहले जब गांव को स्मार्ट विलेज घोषित किया गया था तो गांव के लोग फूले नहीं समाए, लेकिन अब यह घोषणा उनके लिए दिवास्वप्न बन गई है। मार्च 2024 में जिन विकास कार्यों को शुभारंभ हुआ था, उनमें अधिकांश दम तोड़ चुके हैं।
अफसरों की लापरवाही से टूटने लगी उम्मीद
स्मार्ट विलेज घोषित होने पर गांव के वाशिंदों ने उम्मीद पाली थी कि गांव में कम्युनिटी सेंटर, खेल का मैदान और पुस्तकालय जैसी सुविधाओं के साथ खंडहर हो चुके प्राइमरी स्कूल की नई इमारत का निर्माण हो जाएगा और गांव के टूटे-फूटे रास्तों व जलभराव से निजात मिल सकेगी। परंतु गांव वालों का यह सपना उस समय काफूर हो गया जब विकास कार्यों का टेंडर छोड़ा गया तो उसमें खंडहर स्कूल के निर्माण, कम्युनिटी सेंटर, खेल के मैदान और पुस्तकालय निर्माण जैसी वह सुविधाएं नदारद थीं।
सीएम, मंत्री देंखे गांव में विकास की हकीकत
प्रमुख कर्मवीर नागर ने कहा कि ग्रामवासियों ने तय किया है कि स्मार्ट विलेज की परिभाषा में आने वाली सुविधाओं से वंचित इस गांव का विजिट कराने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और औद्योगिक विकास मंत्री को पत्र भेजकर जल्दी ही न्यौता दिया जाएगा। स्मार्ट विलेज के मॉडल की असलियत बताने-दिखाने के लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का जल्दी दौरा कराया जाएगा ताकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकसित किए जा रहे इस स्मार्ट विलेज के मॉडल की असलियत का खुलासा हो सके।
ठेकेदार का भुगतान न होने से रुके विकास कार्य
नागर कहते हैं कि ऐसा लगता है कि ठेकेदार की फर्म द्वारा अब तक किए गए कार्यों का प्राधिकरण ने बिल भुगतान नहीं किया है। जिस वजह से विकास कार्य लटके नजर आ रहे हैं और इन लटके पड़े विकास कार्यों से गांव वाले आजिज आ चुके हैं। डिवीजन में तैनात कर्मचारी और अधिकारी विकास कार्यों की गति को धक्का देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
ये थे स्मार्ट गांव
योजना के तहत मायचा, घरबरा, घंघोला, लडपुरा, अस्तौली, तिलपता करनवास, जलपुरा, चीरसी, सादुल्लापुर, छपरौला, सिरसा, अमीनाबाद उर्फ प्याना, चिपियाना खुर्द तिगरी, युसुफपुर चक शहबेरी, घोड़ी बछेड़ा, कुलेसरा, खैरपुर गुर्जर, इटेहरा, हैबतपुर, धूममानिकपुर, मिलक लच्छी, देवला, कैलाशपुर उर्फ किरचपुर, कासना, डाढ़ा, ऐच्छर, खानपुर, मुर्शदपुर, लुक्सर व सफीपुर गांव शामिल हैं।
यह होने हैं विकास के काम
सेक्टर और गांवों के विकास के अंतर को दूर करने के लिए प्राधिकरण ने पहले चरण में 14 व दूसरे चरण में 30 गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने पर कार्य शुरू कर दिया है। इसके तहत नाली, सड़क, स्ट्रीट लाइट, खेल का मैदान, इंटरलाकिंग टाइल्स, तालाबों का सुंदरीकरण, लाइब्रेरी, सामुदायिक केंद्रों का सुंदरीकरण, सीवर आदि विकास कार्य शुरू करा दिए गए हैं। तीन गांवों मायचा, घरबरा व तिलपता करनवास में काम पूरा हो चुका है। प्राधिकरण की टीम पहुंची गांव
गांव मिलक लच्छी में धीमी गति से चल रहे विकास कार्यों के संबंध में प्राधिकरण को भेजी गई शिकायत के आधार पर उच्च अधिकारियों ने तीन सदस्यीय अधिकारियों की एक कमेटी का तत्काल गठन कर दिया है। नियुक्त की गई कमेटी मौका मुआयना करके अगले दो दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपेगी।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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