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नोएडा लोकसभा सीट पर हार की समीक्षा बैठक में सपा नेताओं में अखिलेश के सामने ही तू-तू मैं-मैं

लखनऊ/नोएडा (मुकेश पंडित) : समाजवादी पार्टी की गौतमबुद्धनगर जिले की समीक्षा बैठक में पार्टी की हार से कोई सबक लेने की बजाय नेताओं और कार्यकर्ताओं में सपा प्रमुख वं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  और शिवपाल यादव के सामने ही सिर फुटोव्वल की नौबत पैदा हो गई। पार्टी नेता एक-दूसरे पर बरसे लेकिन बैठक से कोई निचोड़ नहीं निकला, जिससे किसी ठोस नतीजे पर पहुंचा जा सके। लोकसभा चुनाव में राज्य में सपा ने शानदार प्रदर्शन किया, किंतु नोएडा लोकसभा की सीट पर फिर से पार्टी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था।
अखिलेश के सामने भिड़े नेता
दरअसल, लखनऊ में रविवार को नोएडा लोकसभा क्षेत्र में पार्टी की पराजय की समीक्षा के लिए सपा मुख्यालय के लोहिया सभागार में गौतमबुद्ध नगर जिले के संगठन और नेताओं की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी डॉ महेंद्र सिंह नागर के अलावा राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी, पार्टी जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी और संगठन से जुड़े नेता शामिल रहे। समीक्षा बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और अन्य शीर्ष नेता भी शामिल रहे। अखिलेश ने बारी-बारी से पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं से हार के कारणों को जानना चाहा। बताया जाता है कि इस दौरान पार्टी के जिला स्तरीय नेताओं ने एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ा। कुछ नेताओं ने संगठन की खामियां गिनाईं और आरोप लगाया है कि पार्टी जिलाध्यक्ष से लेकर कई नेताओं ने चुनाव के दौरान अपनी भूमिका का सही से निर्वहन नहीं किया।
क्या लिखा था पर्ची में?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सपा के प्रत्याशी रहे डॉ महेंद्र सिंह नागर से भी हार के कारणों को लेकर सवाल किए। उन्हें भी संगठन से पूरी ईमानदारी से काम नहीं करने की शिकायत रही। उन्होंने बातचीत के बीच ही अखिलेश को एक पर्ची भी सौंपी, जो पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं में काफी चर्चा का विषय बनी रही, लेकिन कोई यह नहीं जान पाया कि आखिर उसे पर्ची में लिखा क्या था? हालांकि जानकारों का अनुमान है कि डॉ महेंद्र सिंह नागर ने संगठन में बदलाव के बारे में कोई सुझाव दिया है और संगठन के लिए किसी का संभावित नाम सपा प्रमुख को सौंपा है। पार्टी में इस बात की जबरदस्त चर्चा है कि डॉ नागर भी संगठन में फेरबदल के इच्छुक हैं।
जिलाध्यक्ष को लेकर उभरी सबसे अधिक नाराजगी
पार्टी सूत्रों ने बताया कि समीक्षा बैठक के दौरान पार्टी नेताओँ में जबरदस्त बहस हुई। एक-दूसरे पर हार के लिए कीचड़ उछालने में भी कसर नहीं छोड़ गई। सबसे ज्यादा नाराजगी जिलाध्यक्ष सुधीर भाटी को लेकर उभरी। पार्टी नेताओं ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाए। राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भार्टी के प्रति भी असंतोष के स्वर सुनाई दिए। खासतौर पर एक विशेष वर्ग के लोगों ने कहा कि राजकुमार भाटी को दादरी से चुनाव में टिकट नहीं दिया जाना चाहिए।
सपा के लिए अंगूर खट्टे वाली सीट है नोएडा
नोएडा लोकसभा सीट को भाजपा का मजबूत किला माना जाता है। पूरी ताकत झोंककर भी सपा अथवा दूसरी अन्य पार्टियां भाजपा का किला नहीं भेद पाई हैं।गौद्मबुद्ध नगर सीट के वर्ष 2009 में अस्तित्व में आने के बाद से वर्ष 2024 तक चार लोकसभा चुनाव हुए हैं। वर्ष 2009 में भाजपा ने डा. महेश शर्मा को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया था, तब बसपा के सुरेंद्र सिंह नागर ने उन्हें पटखनी दी थी। उसके बाद भाजपा के महेश शर्मा ने तीन चुनाव में जीत हासिल की। वर्ष 2024 के चुनाव में महेश शर्मा ने सपा के डॉ महेंद्र सिंह नागर को पांच से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी। जब प्रदेश में सपा बेहतर कर रही थी, ऐसे में नोएडा सीट से पांच लाख वोटों के बड़े अंतर से हार को अब तक पार्टी पचा नहीं पा रही है। कोई ठोस और कारगर योजना बनाने के स्थान पर सपा नेताओं में अब तक सिर फुटोव्वल का दौर जारी है। इस सीट पर भाजपा का दबदबा खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत, समर्पण और लोगों से जुड़ाव बेहद जरूरी है।

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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