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भाकियू का मानवीय चेहरा : ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से गार्ड की मृत्यु पर गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में पत्नी को दिलाई संविदा पर नौकरी

ग्रेटर नोएडा (federal bharat news): भारतीय किसान यूनियन भानु का शुक्रवार को मानवीय चेहरा सामने आया। अब तक किसानों के हितों और उचित मुआवजा की मांग करने वाले किसान यूनियन भानु ने एक गरीब सुरक्षा गार्ड के परिवार को उनका हक दिलाकर हजारों लोगों का दिल जीतने का बड़ा और नेक काम किया। गार्ड की अचानक मृत्यु के मामले में उसकी पत्नी को विश्वविद्यालय में संविदाकर्मी के रूप में रखे जाने की स्वीकृति दिलाई।
क्या था मामला
सुरेंद्र कुमार पुत्र चतरु नामक शख्स गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय की सुरक्षा में तैनात जुपिटर ग्रुप सिक्योरिटी में सुरक्षा गार्ड के तौर पर तैनात था। शुक्रवार को लगभग साढ़े छह बजे ड्यूटी के दौरान अचानक दिल का दौरा पड़ने से सुरेंद्र कुमार की मृत्यु हो गई। वह बेहद गरीब और साधारण परिवार से था और परिवार उसकी आय पर ही निर्भर था। गार्ड की मृत्यु होने पर सिक्योरिटी कंपनी आनन-फानन पोस्टमार्टम कराकर हर तरह की जिम्मेदारी से बचने के प्रयास में थी।
शव का नहीं होने दिया पोस्टमार्टम
सूचना मिलने पर भाकियू भानु के जिलाध्यक्ष राजकुमार नागर, प्रदेश प्रवक्ता मास्टर महकार नागर, सेलक प्रधान, आनंद दरोगा, हतेन्द्र सूबेदार,  सोविंदर प्रधान प्रदेश सचिव, सुभाष शर्मा जिम्स अस्पताल पहुंचे और सुरेंद्र की बॉडी को पोस्टमार्टम पर भेजे जाने से रोक दिया। किसानों की मांग की थी उसके परिवार को उचित आर्थिक सहायता और भरण-पोषण का साधन मुहैया कराया जाए, क्योंकि सुरेंद्र की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई थी।
आश्वासन के बाद ही किसान हटे
किसान यूनियन के नेता और अन्य कार्यकर्ता एम्स के बाहर की धरने पर बैठ गए। सूचना मिलने पर इकोटेक थाना प्रभारी अनुज कुमार मौके पर पहुंच गए। किसानों ने कहा कि जब तक गार्ड सुरेंद्र के आश्रितों को न्याय और आर्थिक मदद नहीं मिलेगी शव का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया जाएगा। आखिर लंबी जद्दोजहद के बाद इकोटेक थाना प्रभारी अनुज कुमार की मध्यस्थता में समझौता हुआ। इसके अंतर्गत गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में दिवंगत गार्ड की पत्नी को संविदा के रूप में नौकरी दी जाएगी। साथ ही आश्रितों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। इसके बाद ही पोस्टमार्टम की अनुमति दी गई। भारतीय किसान यूनियन भानू के जिलाध्यक्ष राजकुमार नागर ने गरीब के परिवार को उनका हक दिलाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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