डीसीपी की जांच में डोबरियाल की पांच अवैध संपत्तियां पकड़ में आईं
लखनऊ की विभिन्न तहसीलों में अवैध ढंग से जमीन अपने परिवार और करीबियों के नाम करा ली
लखनऊ। राजस्व परिषद में पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल पर लगातार शिकंजा कसता ही जा रहा है। यहां पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सोमेन वर्मा की जांच में अवैध पांच संपत्तियां पकड़ी गई हैं। डोबरियाल ने अवैध तरीके से अपने परिवार और करीबियों के नाम पर अवैध रूप से जमीनें खरीदी हैं।
यह भी पता चला है कि डोबरियाल ने लखनऊ में कानूनगो और लेखपाल का बकायदा गिरोह भी बना रखा था। इस गिरोह में शामिल कानूनगो जितेंद्र सिंह और पुनीत शुक्ल अवैध रूप से अकूत संपत्तियां बना चुके हैं। यह गिरोह लखनऊ की विभिन्न तहसीलों में करोड़ों रुपये मूल्य की जमीनों की लूट करता था।
उधर, एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) की टीम मामले के दस दिन बीत जाने के बावजूद डोबरियाल को पकड़ नहीं पाई है।
गौरतलब है कि राजस्व परिषद के पूर्व निजी सचिव विवेकानंद डोबरियाल के खिलाफ कैसरबाग कोतवाली में जमीनों की लूट का मामला दर्ज होने के बाद शासन और प्रशासन ने भी अपना रुख सख्त कर लिया है। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश से विवेकानंद की संपत्ति का ब्योरा तलब किया था। शासन के कड़े रूख के बाद अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमर पाल सिंह ने सभी एसडीएम को पत्र जारी किया। पत्र में पूर्व निजी सचिव डोबरियाल द्वारा अपने पद का लाभ उठाकर राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों से खास लोगों के काम कराकर अवैध रूप से अर्जित संपत्ति की जांच कर आख्या देने के लिए कहा गया था। आदेश मिलने के बाद सभी एसडीएम ने तहसीलदारों को एक दिन के भीतर आख्या देने के निर्देश दिए थे। विवेकानंद का खेल उजागर होने के बाद उसके करीबी अफसरों में बेचैनी है।
विवेकानंद के इशारे पर अहिमामऊ में करोड़ों की जमीन में हेरफेर का मामला सामने आ गया है। इस फर्जीवाड़े में न केवल विवेकानंद के करीबी अधिकारी शामिल हैं, बल्कि जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वाले कई लोग भी संलिप्त पाए गए हैं। सारा हेरफेर तब हुआ जब विवेकानंद के करीबी जितेंद्र सिंह सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो थे। अधिकारियों और भूमाफियाओं ने उस जमीन को खतौनी में दर्ज करवा लिया, जिसकी पट्टा पत्रावली स्वीकृत ही नहीं थी।
सरोजनीनगर के तत्कालीन कानूनगो जितेंद्र सिंह पूर्व निजी सचिव की सरपरस्ती में हेरफेर करते गए। डिफेंस कारिडोर की जमीन भी उसने अपने रिश्तेदार और चालक के नाम दर्ज करवा दी। इस मामले के बाद बाद जितेंद्र सिंह को निलंबित किया गया था और विभागीय कार्रवाई की गई थी। हालांकि अफसर केवल बयानबाजी ही करते रहे और पूरे मामले पर पर्दा डाल दिया। अधिकारियों ने चहेते जितेंद्र सिंह को बहाल भी कर दिया था। यही नहीं, जितेंद्र को मोहनलालगंज तहसील में तैनाती भी दे दी गई थी।