एमआइ बिल्डर्स के ठिकानों पर इनकम टैक्स का सर्च आपरेशन, रिटायर्ड आइएएस राकेश बहादुर की काली कमाई खपाने की भी आशंका!
नोएडा (फेडरल भारत न्यूज) : इनकम टैक्स विभाग ने भारी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर रियल एस्टेट कंपनी एमआइ बिल्डर्स के नोएडा स्थित ठिकानों पर सर्च अभियान चलाया। इस दौरान विभाग की टीम ने उप्र पूर्व प्रमुख सचिव एवं सीनियर आइएएस राकेश बहादुर के यहां भी सर्च किया। राकेश बहादुर नोएडा में जेपी ग्रीन में रहते हैं औरौ बिल्डर की लाइजनिंग का काम देखते हैं। सर्च की यह कारवाई लखनई से लेकर नोएडा तक एक साथ चली। सर्च आपरेशन में लगभग 1500 करोड़ की अघोषित संपत्ति भी बरामद हुई है।
नोएडा में चार ठिकानों पर सर्च
जानकारी के अनुसार, इनकम टैक्स विभाग ने एमआइ बिल्डर्स के लखनऊ में 22 और नोएडा में चार ठिकानों पर सर्च आपरेशन चलाया। पूर्व आईएएस अफसर राकेश बहादुर के आवास को भी खंगाला। राकेश बहादुर जेपी ग्रीन टाउनशिप में की विला में रहते हैं। वह बसपा और सपा सरकार में कई अहम पदों पर तैनात रह चुके हैं। उततर प्रदेश के प्रमुख सचिव जैसा अहम दायित्व उनके पास रहा है। सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट की मानें तो उन्होंने अपनी कमाई दौलत का बड़ी हिस्सा एमआइ बिल्डर्स में निवेशक कर रखा है। साथ ही बिल्डर्ल के सभी तरह के कामों को वह कराते हैं।
राकेश बहादुर के दर्ज किए गए बयान
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्च में करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सर्च आरेशन से जुडे इनकम टैक्स अधिकारियों ने पूर्व आईएएस से इनकम के संबंध में पूछताछ कर उनके बयान दर्ज किए हैं। लखनऊ में एमआइ बिल्डर्स के संचालक मोहम्मद कादिर अली से भी राकेश बहादुर से व्यावसायिक संबंधों को लेकर पूछताछ की गई है। दोनों के बयानों को मैच करके कोई ठोस निष्कर्ष पर टीम पहुंचने के प्रयास में है। रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अब तक की जांच में दोनों के बीच करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन होने के पुख्ता सुराग हाथ लग चुके हैं। संपत्तियों के दस्तावेजों की जांच के बाद यह रकम कई गुना अधिक होने की आशंका जताई जा रही है।
भूमि घोटाले में भी आया था नाम
रिटायर्ड आइएएस राकेश बहादुर का दामन कभी साफ-सुथरा नहीं रहा। बसपा सरकार के कार्याकाल के दौरान जब वह नोएडा प्राधिकरण में तैनात थे, उनका नाम कई घोटालों से जुड़ा था। उनके खिलाफ सीबीआई ने भी जांच की थी। बाद में हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए भविष्य में उन्हें पश्चिमी उप्र से दूर रखने का आदेश दिया था। हालांकि बाद में सपा सरकार आने पर उन्हें दोबारा नोएडा में ही तैनात कर दिया। इतना ही नहीं, उन्हें बाद में शासन में भी अहम पदों पर तैनाती दी गई थी।