ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सोसाइटी में 20 मिनट फंसे रहे 55 साल के शख्स, अटकी रहीं सांसे
ग्रेटर नोएडा वेस्ट (federal bharat news) : ग्रेटर नोएडा वेस्ट की लॉ रेजिडेंशिया सोसाइटी के टावर नंबर 14 की लिफ्ट में एक अधेड़ व्यक्ति करीब 20 मिनट तक फंसे रहे। आसपास के लोगों ने उन्हें किसी तरह बाहर निकाला। लिफ्ट के रखरखाव को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं। उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर नियमावली 2024 लागू होने के बाद संभवत यह पहला मामला है।
चौथे-पांचवें फ्लोर के बीच फंसी लिफ्ट
जानकारी के अनुसार, दोपहर बाद एक 55 वर्षीय मनोहर लाल अग्रवाल से नीचे आ रहे थे। अचानक 4Th और 5 th फ्लोर के बीच लिफ्ट अटक गई। लिफ्ट का साइरन भी काम नहीं कर रहा था। अंदर से तेज आवाज आने पर कुछ लोगों ने गार्ड्स व अन्य की मदद से लिफ्ट का जैसे-तैसे गेट खोला और हाथ खींचकर उन्हें बाहर निकाला। इस घटना की वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायर हो रहा है। इस बीच सोसाइ के लोग लिफ्ट के रखरखाव को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
लिफ्ट कानून आने के बाद पहला मामला
यूपी मे लिफ्ट और एक्सीलरेटर कानून बनने के बाद जिले लिफ्ट हादसों पर कारवाई के लिए समिति गठित की गई। समिति गठित होने के बाद संभवत: यह पहला मामला सामने आया है। नोएडा में डीएम गौतमबुद्ध नगर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई गई थी। इस समिति पर ही लिफ्ट एवं एस्केलेटर नियमावली को जिला स्तर पर लागू कराने की जिम्मेदारी है।
पांच सदस्यीय समिति कराएगी नियमावली लागू
उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लिफ्ट से आने-जाने वालों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उप्र लिफ्ट और एस्केलेटर नियमावली 2024 को 25 सितंबर को प्रभावी कर दिया था। इस नियमावली को लागू करने के लिए जिला स्तर पर समिति का गठन करने का आदेश दिया था।
समिति में प्राधिकरण के अफसर भी शामिल
इस समिति में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, एडीएम वित्त एवं राजस्व, नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, सहायक निदेशक विद्युत सुरक्षा को संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है। यह सदस्य लिफ्ट व एस्केलेटर संबंधित अनुरक्षण, सुरक्षा व संचालन को लेकर हो रही गतिविधियों, किसी दुर्घटना पर समुचित कार्रवाई की रिपोर्ट डीएम को देंगे।
छह माह के भीतर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
नई नियमावली लागू होने के 6 माह के भीतर ही प्रत्येक लिफ्ट एवं एस्केलेटर स्वामी को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। अधिनियम की धारा-10 में प्रदेश में पहले से ही संचालित लिफ्ट, एस्केलेटर का अधिनियम लागू होगा। नियम सात के अंतर्गत लिफ्ट के निर्माण कमीशनिंग एजेंसी की तरफ से रजिस्ट्रेशन कराए जाने की व्यवस्था की गई है। इसका वार्षिक अनुरक्षण एजेंसी की तरफ से कराए जाने की व्यवस्था है। इसमें लापरवाही बरतने पर विलंब शुल्क लिया जाएगा। लिफ्ट एक्ट की धारा-12 में लिफ्ट अथवा एस्केलेटर से संबंधित किसी भी दुर्घटना के मामले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विद्युत निरीक्षक और कार्यकारी मजिस्ट्रेट से जांच कराए जाने की व्यवस्था है। नियमावली-9 में प्राविधान किया गया है कि लॉगबुक अनुरक्षित करने की व्यवस्था लिफ्ट एवं एस्केलेटर स्वामी द्वारा की जाएगी और जांच के लिए मांगे जाने पर उपलब्ध कराई जाएगी।