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अवैध कालोनाइजरों, प्रॉपर्टी डीलरों का “स्वर्ग” बना नोएडा-ग्रेटर नोएडा, इनके जाल में फंसा है मध्यम वर्ग

 नोएडा (FB News) : औद्योगिक और प्रौद्योगिकी के लिए प्रसिद्ध नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अपने घर का सपना देखने वालों की संख्या लाखों में हैं। ऐसे में रियल एस्टेट का कारोबार यहां तेजी से फला-फूला है। प्रमुख प्रमोटरों के हाउसिंग प्रोजेक्टों में घर लेना आम आदमी के बूते में नहीं है। इसी का फायदा उठाकर अवैध रूप से घर बनाकर बेचने वाले बिल्डरों का एक मजबूत नेक्सेस तैयार हो गया है। जिसमें स्थानीय दबंग नेता, पुलिस और प्राधिकरण के कुछ अधिकारी शामिल हैं। हालांकि प्रशासन अवैध रूप से प्लॉट काटकर कॉलोनी का निर्माण करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कारवाई की जाती है, लेकिन तमाम प्रयास बेअसर साबित हो रहे हैं।
अवैध कालोनाइजर बेच चुके हैं एक लाख से ज्यादा फ्लैट
प्रॉपर्टी के कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि पिछले लगभग 10 वर्ष के दौरान अवैध कालोनाइजर एक लाख से अधिक फ्लैट बनाकर बेच चुके हैं। नोएडा के सेक्टर 71,72, सेक्टर 120, 122, सोरखा के अलावा ग्रेटर नोएडा वेस्ट के जलपुरा, बिसरख, जलालपुर, सूरजपुर, हल्द्वानी में अवैध कालोनाइजर दो बीएचके, थ्री बीएचके, स्काईविला के नाम से फ्लैट बनाकर बेचे जा रहे हैं। इनमें रजिस्ट्री कार्यालय से फ्लैटों की रजिस्ट्री भी हो रही है, जिससे खरीदारों का विश्वास पुख्ता हो जाता है। जानकारों का कहना है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा के कई गांवों में कालोनाइजरों की सैकड़ों परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें 50 हजार से अधिक फ्लैट निर्माणाधीन हैं। इनमें पचास प्रतिशत से अधिक की बुकिंग भी हो चुकी है।
नामी बिल्डरों की परियोजाएं अधर में हैं
इसका एक दूसरा पहलू भी है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा में नामी बिल्डरों की 300 से अधिक परियोजनाएं चल रही हैं। नोएडा में फिलहाल 118 परियोजनाएं चल रही है, जिनमें महज 24 पूरी हुई हैं, जबकि 94 परियोजनाएं अधूरी हैं। इनमें कुल 1,69,950 यूनिट में से 65,225 की ही रजिस्ट्री हो सकी है। इस प्रकार ग्रेटर नोएडा में 191 परियोजनाओं मं 50 अधूरी है और 141 अधर में लटकी हैं। इनमें 2,61,814 यूनिट में से सिर्फ 96,410 की अब तक रजिस्ट्री हो सकी है। इसके अलावा लगभग ढाई लाख घर खरीदार अपने मालिकाना हक मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कई मामले अदालत में विचाराधीन होने से अटके हुए हैं। ऐसे में लोगों का बड़े प्रमोटर और डेवलपर से भरोसा टूट रहा है, फिर अवैध कालोनाइजरों के जाल में लोग फंस जाते हैं।
माफिया की सूची की जा रही तैयार
नोएडा-ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित गांवों में ग्राम सभाएं निष्क्रिय हैं। पहले जिला पंचायत घर बनाने के लिए नक्शा पास करती थी। अधिसूचित गांवों में निर्माण के लिए प्राधिकरण से एनओसी लेना अनिवार्य है। लेकिन प्राधिकरण के अफसरों की मिलीभगत से अवैध कालोनाइजर बिना नक्शा पास कराए किसानों से जमीन खरीदकर कालोनी का निर्माण कर लेते हैं। हालांकि प्रशासन ने पिछले दिनों भूमाफिया के खिलाफ एक्शन लेने का इरादा दिखाया था। ऐसे टॉप टेन भूमाफिया की लिस्ट तैयार की जा रही है, जो डूब क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग, अवैध निर्माण करने व लोगों से जमीन को लेकर धोखाधड़ी करने में लिप्त हैं।  जिले की सूची में 120 नाम शामिल हैं। नोएडा-प्राधिकरण समय-समय पर अधिसूचित क्षेत्र और डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर नोटिस जारी करता है और कारवाई की रस्म अदायगी भी की जाती है, लेकिन कोई प्रभावी कारवाई नहीं होने से निर्माण का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है।

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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