एनसीआर में जारी रहेगा GRAP-4 : राहत की फिलहाल उम्मीद नहीं, लागू रहेंगी पाबंदिया
Noida News : दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (25 नवंबर) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)-IV के नियमों में ढील देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने दिल्ली सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी CAQM यह विचार करे कि स्कूल नहीं जा पा रहे बच्चों को किस प्रकार सहायता प्रदान की जा सकती है। कई बच्चों को मिड डे मील का लाभ नहीं मिल पा रहा है, ऑनलाइन कक्षाओं में भागीदारी में परेशानी हो रही है, और वे एयर प्यूरीफायर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी विचार करने का आदेश दिया कि प्रदूषण से बच्चों का शैक्षिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है।
दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए दीर्घकालिक समाधान खोजने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए और लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कदम तत्काल उठाए जाएं।
GRAP-4 के तहत पाबंदियों का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने GRAP-4 के तहत लागू पाबंदियों के पालन में गंभीर लापरवाही को लेकर सवाल उठाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि 18 नवंबर के बाद चेकपोस्ट पर क्या कोई स्थायी आदेश आया था, जिससे चेकपोस्ट पर नियमित चेकिंग हो सके। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से यह भी पूछा कि 13 चेकपोस्ट पर ही क्यों जांच हो रही थी, जबकि पूरे दिल्ली-एनसीआर में इससे अधिक चेकपोस्ट की आवश्यकता थी।
GRAP-4 में क्या हैं प्रतिबंधित उपाय?
GRAP-4 में दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित प्रतिबंध लागू किए गए हैं:
1. औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों पर रोक
2. ट्रकों और अन्य भारी वाहनों को राजधानी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना
3. कचरे को जलाने पर प्रतिबंध
4. वाहनों की संख्या को सीमित करना
5. पॉलीथिन और अन्य प्रदूषणकारी पदार्थों पर रोक
दिल्ली पुलिस को कार्यवाही का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में उचित कार्रवाई करें और आवश्यक आदेशों का पालन सुनिश्चित करें। इसके साथ ही, कोर्ट ने वायु गुणवत्ता के संकट को स्वास्थ्य के लिहाज से प्राथमिकता देते हुए हल करने की बात कही।