प्राधिकरण ने नोएडा “सेफ सिटी” परियोजना को दी मंजूरी, जिले की सुरक्षा में अब ऐसे होगा सुधार
नोएडा : नोएडा में नागरिकों की सुरक्षा को बढ़ाने और अपराधों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से शुरू की गई “सेफ सिटी” परियोजना को अंतिम मंजूरी मिल गई है। ₹212 करोड़ की लागत से शुरू होने वाली इस परियोजना के तहत शहर के 561 प्रमुख स्थानों पर 2,100 अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। यह परियोजना नोएडा और ग्रेटर नोएडा दोनों क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जिससे सुरक्षा में सुधार होगा और अपराधों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
ऐसे मिली पूरी परियोजना को मंजूरी
27 नवंबर को ओएसडी एमपी की अध्यक्षता में हुई बैठक में “सेफ सिटी” परियोजना को मंजूरी दी गई। बैठक के बाद, परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट (DPR) को आईआईटी दिल्ली के पास मंजूरी के लिए भेजा गया। आईआईटी से हरी झंडी मिलने के बाद दिसंबर में कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे और परियोजना के कार्यान्वयन के लिए निविदाएं जारी की जाएंगी।
“सेफ सिटी” परियोजना की प्रमुख विशेषताएँ
सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर: इस परियोजना के तहत 561 स्थानों पर 2,100 अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जो रात में भी स्पष्ट रूप से काम करेंगे और चेहरे की पहचान (फेस डिटेक्शन) करने में सक्षम होंगे। इन कैमरों का मुख्य उद्देश्य शहर में लगातार निगरानी रखना और अपराधों पर कड़ी नजर रखना है।
इन प्रमुख स्थानों पर लगेंगे कैमरे
व्यस्त बाजार
सरकारी और निजी स्कूल
अपराध ग्रस्त क्षेत्र (ब्लैक स्पॉट)
मेट्रो स्टेशन और बस स्टैंड
मॉल्स और अन्य व्यावसायिक क्षेत्र
कंट्रोल और मॉनिटरिंग: सभी सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त फुटेज को केंद्रीय कंट्रोल रूम से रियल-टाइम में मॉनिटर किया जाएगा, और पुलिस कर्मी इसे ट्रैक करेंगे।
परियोजना की समयसीमा
इस परियोजना के पूरा होने में 6 से 8 महीने का समय लग सकता है। सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने, पोल लगाने और पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण देने के कार्यों की शुरुआत जल्द ही की जाएगी। यह परियोजना 2025 तक पूरी तरह से लागू हो जाने की उम्मीद है।
सुरक्षा पर प्रभाव
“सेफ सिटी” परियोजना नोएडा में सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना अपराधों पर निगरानी रखने, पुलिस की प्रतिक्रिया समय में सुधार और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होगी। सीसीटीवी कैमरे और निगरानी प्रणाली से अपराधों को रोकने, त्वरित जांच करने और सार्वजनिक सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।