Party with difference: : भाजपा में सांसद और विधायक के परिवार से नहीं बन पाएगा कोई जिलाध्यक्ष
भाजपा के 1918 मंडलों और 98 जिलों में संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया शुरू
लखनऊ (FBNews) : भारतीय जनता पार्टी में संगठन के चुनावों की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रदेश में मंडल और जिलों का चुनाव करवाने के लिये 36 पर्यवेक्षक बनाये गये हैं। संगठनात्मक चुनाव 1918 मंडलों, 98 जिलों में कराया जाएगा। नई गाइडलाइन के अनुसार दो बार के अध्यक्ष को फिर नहीं मिलेगा मौका। अब भाजपा का जिलाध्यक्ष बनने में सिफारिश नहीं चलेगी। मंडल और जिलों में चुनाव कराने के लिए 36 पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। सांसद और विधायक के परिवार से भाजपा में ज़िलाध्यक्ष नहीं बनाए जाएंगे।
विनोद तावड़े ने दिए चुनाव प्रभारियों को टिप्स
संगठन चुनाव को लेकर प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक में केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े ने चुनाव प्रभारियों को टिप्स दिए। स्वतंत्र देव सिंह, धर्मपाल सिंह, जेपीएस राठौर, जसवंत सैनी, सोमेंद्र तोमर, सुब्रत पाठक, लल्लू सिंह, रमापति राम त्रिपाठी, पुष्पेंद्र चंदेल, गोविंद नारायण शुक्ला, अनूप गुप्ता, प्रियंका रावत,संजय राय, सुभाष यदुवंश, राम प्रताप सिंह चौहान को मंडलों का चुनाव पर्यवेक्षक बनाया गया है। किसी भी तरह की गुटबाजी से बचने के लिए चुनाव कराने की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं पर डाली गई है।
जिलाध्यक्षों के चुनाव के लिए गाइडलाइन जारी
संगठन ने बाकायदा जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और बूथ अध्यक्षों के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी गई हैं। जिला अध्यक्ष के पद पर आवेदन के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने योग्यताएं भी तय कर दी हैं। जिलाध्यक्ष के लिए क्या योग्यताएं होनी चाहिए?, कौन लोग जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे? किन लोगों को जिलाध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा ये भी तय कर दिया है। अब इसके लिए किसी तरह की सिफारिश नहीं चलेगी।
55 से ज्यादा नए जिलाध्यक्ष बनेंगे
भाजपा के 55 से ज्यादा नए जिलाध्यक्ष बनाए जाने हैं, जो व्यक्ति दो बार ज़िलाध्यक्ष बन चुका है उसे फिर से मौका नहीं मिलेगा। यह जरूरी नहीं कि एक साल पहले बनाए गए जिलाध्यक्ष को रिपीट ही किया जाए। उन्हें दोबारा मौका मिलेगा या नहीं ये उनकी परफॉर्मेस के आधार पर ही तय किया जाएगा। बीजेपी ने जिलाध्यक्षों के निर्वाचन प्रक्रिया की गाइडलाइन बना दी हैं।
जिलाध्यक्ष की आयु 45 से 60 के बीच
जिलाध्यक्षों को लेकर बनाई गाइडलाइंस के मुताबिक उम्मीदवार की उम्र 45 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए। जिलाध्यक्ष पद के 6 वर्षों से पार्टी के सक्रिय सदस्य होने चाहिए। जिलाध्यक्ष पद पर रिपीट भी किए जा सकेंगे। सांसद और विधायक के परिवार से ज़िलाध्यक्ष नहीं बनाए जाएंगे। जिलाध्यक्ष के निर्वाचक मंडल में एससी एसटी महिलाओं की मौजूदगी जरूरी होगी। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में दलित और ओबीसी की भी होगी भागीदारी। मंडल अध्यक्ष की आयु 35 से 45 वर्ष तक तय की गई है। ओबीसी और एससी को इस बार जिलाध्यक्ष ज्यादा बनाए जाएंगे।