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होम बायर्स के लिए खुशखबरी : सुपरटेक की रुकी हुई 18 परियोजनाओं को शुरू करने का एनसीबीसी को मिला जिम्मा

राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण ने लंबी सुनवाई के बाद सुनाया निर्णय

नोएडा/दिल्ली (FBNews) : नोएडा- ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बायर्स के लिए राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से बड़ी और अत्यंत महत्वपूर्ण खबर आई है। एनसीएलएटी ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को रियल एस्टेट की प्रमुख प्रमोटर कंपनी सुपरटेक को 18 अटकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने का दायित्व सौंपा है। इससे हजारों की संख्या में अपने आशियाने का इंतजार कर रहे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। इस आदेश में दून स्क्वॉयर प्रोजेक्ट शामिल नहीं हैं।


घर खरीदारों के हित होंगे सुरक्षित
मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण ने लंबी सुनवाई के बाद एनबीसीसी को रुकी हुई सभी परियोजना का विस्तृत खाका तैयार करने के लिए कहा है। इसके अंतर्गत कंपनी निर्माण कार्यों को गति देने के साथ ही घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा भी करेगी। न्यायाधिकरण ने यह निर्णय रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण(रेरा) के निर्धारित मानदंडों के अनुरूप दियाहै, इससें विशेष तौर पर बायर्स के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।


लंबित पड़ी रजिस्ट्री की भी उम्मीद बंधी
न्यायाधिकरण का यह आदेश लंबे संघर्ष के बाद आया है। लिहाजा दून स्क्वॉयर को छोड़कर सुपरटेक कंपनी की सभी रूकी हुई परियोजनाओं के जल्द शुरू होने की उम्मीदों को पंख लग सकते हैं। इससे सुपरटेक के उन बायर्स को भीउम्मीद बंधी है, जो लंबे समय से लंबित रजिस्ट्री के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। खासतौर से ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इको विलेज-1 और सुपरटेक इकोविलेज-2 व 3 में एनसीसीबी (नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन) अपनी ओर से रजिस्ट्री के लिए प्रयास कर सकती है।
क्या होगा असर
जानकारों का मानना है कि न्यायाधिकरण के फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र में तेजी आने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे रियल एस्टेट कंपनियों और बायर्स को एक नई उम्मीद बढ़ेगी। क्योंकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में ऐसे हजारों निवेशक हैं, जो फ्लैट की आनर्सशिप, रजिस्ट्री और पजेशन के लिए वर्षों से धक्के खा रहे हैं। रियल एस्टेट कंपनी रजत इंफ्रा के विक्रम संधु कहते हैं कि यह फैसले ऐसे समय में आया है, जब रियल एस्टेट को इसकी सर्वाधिक जरूरत है, यह फैसला संजीवनी का काम करेगा। सुपरटेक में निवेशकों के करोड़ों रुपये वर्षों से फंसे हुए हैं, उन्हें न्यायाधिकरण के निर्णय से बड़ी राहत मिलेगी। न्यायाधिकरण में यह अपील सुपरटेक लिमिटेड के सस्पेंडेड डॉयरेक्टर रामकिशोर अरोरा की ओर से यूनियन बैंक आफ इंडिया एंड अदर की खिलाफ की गई थी।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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