जीएम के टेबल से आगे नहीं बढ़ पा रही ई – साइकिल : सालों से पेंडिंग पड़ी है टर्बन मोबिलिटी को निरस्त करने की फाइल
Noida News : नोएडा को प्रदूषण से मुक्त बनाने, नोएडा वासियों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से शुरू हुआ ई साइकिल प्रोजेक्ट सवालों के कटघरे में खड़ा है। प्राधिकरण ई साइकिल एजेंसी से सवाल कर रही है कि एमओयू के मुताबिक काम कब होगा ? नोएडा की आम जनता सवाल कर रही है कि स्टेशन पर साइकिल कब नजर आएंगी ? वहीं एक सवाल प्राधिकरण से ये भी है कि आखिर सालों से ई साइकिल एजेंसी टर्बन मोबिलिटी को निरस्त करने की कार्रवाई कब पूरी होगी ? जीएम के टेबल से कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने की फाइल आखिर कब आगे बढ़ेगी ?विज्ञापन से मालामाल हो रही कंपनी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ई साइकिल प्रोजेक्ट का पूरा टेंडर ही लचीला और करप्ट है। दरअसल टर्बन मोबिलिटी ने ई साइकिल स्टेशन को विज्ञापन का सबसे बड़ा जरिए बना लिया है। अब सोचिए अगर कोई कंपनी मोटा पैसा विज्ञापन से बना रही हैं तो जिस उद्देश्य से प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई उसके बारे से क्यों सोचेगी। जाहिर है कंपनी विज्ञापन से जो पैसा कमा रही है, वो 5,10 रुपये किराए पर ई साइकिल देने से कभी नहीं काम पाएगी। तो कंपनी वो काम कर रही है जिससे बड़ा मुनाफा कमा सके। ताज्जुब ये है कि नोएडा वासियों के हित में सोचने वाली प्राधिकरण, प्रोजेक्ट शुरू करवाने के लिए जगह उपलब्ध करवाने वाली प्राधिकरण, भी टर्बन मोबिलिटी के इस ढीले ढाले रवैए पर एक्शन नहीं ले रही है। मामला एक दो महीने का भी बल्कि सालों है। जानकारी ये भी है कि प्राधिकरण को बाह्य विज्ञापन पर मिलने वाला पैसा भी इस प्रोजेक्ट से नहीं मिल रहा है, लेकिन फिर भी न जाने क्या मजबूरी है कि निरस्तीकरण की फाइल एनटीसी से निकल कर जीएम एसपी सिंह के टेबल तक तो जाती है लेकिन ओएसडी, महेंद्र प्रसाद और सीईओ, लोकेश एम तक नहीं पहुंच पाती है।
जीएम एसपी सिंह का बयान
नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल विभाग द्वारा महीनों कहां जा रहा है हमने टर्बन मोबिलिटी के निरस्तीकरण की फाइल आगे भेज दी है, जीएम साहब के देखने के बाद उसे ओएसडी साहब और फिर सीईओ के पास से फाइनल किया जाएगा। फिर हमने सोचा कि चलिए एक बार जीएम साहब से ही बात कर लिया जाए, कि आखिर मामला कितना आगे बढ़ा। फेडरल भारत ने जब जीएम एसपी सिंह से बात की तो उन्होंने ने कहां कि अभी तक कोई फाइल नहीं आई है, बीच में कहीं होगी। जब आ जाएगी तो फैसला लिया जाएगा।
दो चरण में होना था काम
बता दे आज से लगभग दो साल पहले ये काम टर्बन मोबिलिटी को सौंपा गया था। दो चरण में काम होना था। पहला चरण साल 2022 के सितंबर में हुआ, काम ठीक होने की वजह से वापस टर्बन मोबिलिटी को ही टेंडर दिया गया। लेकिन साल 2023 के जुलाई में शुरू हुए दूसरे चरण में कंपनी प्राधिकरण के मापदंडों पर खड़ी भी उतरी।
एमओयू में क्या थे मापदंड
नोएडा प्राधिकरण के ट्रैफिक सेल द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक टर्बन मोबिलिटी को 3 बार नोटिस भेजा गया। दो नोटिस पर कंपनी का जवाब आया कि हम सुधार करेंगे, लेकिन संतोषजनक काम न होने के कारण प्राधिकरण से तीसरा नोटिस भेजा, जिसका कोई भी जवाब कंपनी की तरफ से नहीं दिया गया। जिसके बाद प्राधिकरण पर कम्पनी का टेंडर खत्म कर सकती है। इसके बाद नई कंपनी को इस काम की जिम्मेदारी दी जा सकती है। एमओयू में प्राधिकरण ने कई काम दिए थे जो कि पूरा नहीं हो सका। इसमें एक स्टेशन पर 10 ई साइकिल रखना, चार्जिंग पॉइंट्स लगाना , बिजली कनेक्शन लगाना एक मोबाइल ऐप डेवलप करने सेंट्रलाइज्ड सिस्टम तैयार करना और रखरखाव का ध्यान रखना शामिल था। लेकिन कंपनी इस कामों को ठीक ढंग से पूरा नहीं कर सकी जिसकी वजह से अब ये करवाई की जा रही है।
टर्बन मोबिलिटी के डायरेक्टर का बयान
प्राधिकरण द्वारा कंपनी पर लगाए जा रहे आरोपों के लेकर फेडरल भारत ने एक दिसंबर 2024 को कंपनी के डायरेक्टर चंद्र मोहन बाली से बात की तो उन्होंने सभी आरोपों को गलत बताते हुए कहा, कि कंपनी को बदनाम करने के लिए ये सब भ्रांतिया फैलाई जा रही है। हमें जब-जब नोटिस मिला हमने उसके मुताबिक काम में सुधार किए और प्राधिकरण के नोटिस का भी जवाब दिया गया।लोगों की तरफ से जो भी डिमांड थी, हमने उसके लिए काम किया। मोबाइल ऐप का काम भी पूरा किया है। काम दो फेज में होना है। फेज -1 के सभी स्टेशन ऑपरेशनल है। फेज-2 में काम चल रहा है। डायरेक्टर ने कहा कि काम अगर नहीं हो रहा है, साइकिल नहीं चल रही है, तो ये हमारे लिए नुकसानदेह है। इससे हमारे रेवेन्यू का नुकसान है। जहां तक बात मोबाइल ऐप की है, तो साल 2022 में ही नोएडा स्थापना दिवस पर जिले के तमाम सांसद , विधायक और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिती में ऐप को लॉन्च किया जा चुका है। साइकिल चल रही है, साफ-सफाई का काम हर रोज होता है। हमारी टीम है जो लगातार काम रही है। मोबाइल ऐप के सर्वर पर भी काम चल रहा है।