शुभ-अशुभ योग: कैसे बनते हैं और कैसे तय होता है कार्य का फल

नोएडा: भारतीय ज्योतिष शास्त्र में किसी भी कार्य की सफलता या असफलता का निर्धारण केवल प्रयासों से नहीं, बल्कि ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति से भी जुड़ा होता है। इन ग्रहों और नक्षत्रों के मेल से जो विशेष संयोग बनते हैं, उन्हें ‘योग’ कहा जाता है। यही योग यह तय करते हैं कि कोई कार्य शुभ फल देगा या अशुभ।
योग क्या होते हैं?
योग पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह चंद्रमा और सूर्य की गति के आधार पर बनते हैं। कुल मिलाकर 27 योग होते हैं, जिनमें से कुछ को शुभ माना गया है और कुछ को अशुभ।
शुभ योग कौन-कौन से हैं?
जिन योगों में कोई भी नया काम, खरीदारी, यात्रा, शादी, या शुभ कार्य करना अच्छा माना जाता है, वे शुभ योग कहलाते हैं। जैसे: सिद्धि योग,अमृत योग, सर्वार्थसिद्धि योग, रवि योग,द्विपुष्कर योग
इन योगों में किया गया कार्य सफलता की ओर ले जाता है और उसका फल लंबे समय तक टिकता है
अशुभ योग कौन से होते हैं?
कुछ योगों में कोई भी नया या बड़ा काम करना वर्जित माना जाता है क्योंकि इनका प्रभाव नकारात्मक होता है। जैसे: विध्वंस योग ,गंडमूल योग
अष्टमी और नवमी के विशेष योग
भद्रा काल
राहुकाल
इन योगों में किए गए काम में रुकावट, नुकसान या विफलता की संभावना ज्यादा रहती है।
योग का प्रयोग कैसे करें?
अगर आप कोई नया काम शुरू करने जा रहे हैं, तो पंचांग देखकर शुभ योग में ही शुरुआत करना बेहतर होता है। ज्योतिषाचार्य या अनुभवी पंडित से सलाह लेकर दिन-तिथि और योग की जानकारी लेना लाभकारी होता है।
निष्कर्ष:
शुभ-अशुभ योग केवल एक विश्वास नहीं बल्कि समय और प्रकृति के तालमेल का एक तरीका हैं, जो हमारे कार्यों के प्रभाव को दिशा देते हैं। सही योग में किया गया कार्य सफलता और संतोष दोनों दिला सकता है।