पाकिस्तान को बेनकाब करने की तैयारी: पीएम मोदी की ‘टीम इंडिया’ में शशि थरूर की अहम भूमिका

नोएडा: भारत ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान में छिपे आतंकियों पर कड़ा प्रहार किया है। इस सैन्य अभियान में भारतीय सेना ने 100 से अधिक आतंकवादियों को ढेर कर दिया।
अब भारत अपने अगले कदम के तहत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करने की योजना बना रहा है।
भारत की रणनीति: विपक्ष के साथ कूटनीतिक मोर्चा
मोदी सरकार ने इस बार एक बहुदलीय रणनीति अपनाई है। इस योजना में न केवल भाजपा सांसद, बल्कि विपक्षी पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं को भी शामिल किया गया है। इन सांसदों को विभिन्न देशों में भेजा जाएगा, जहां वे पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का पर्दाफाश करेंगे।
कांग्रेस नेता शशि थरूर और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी इस डेलिगेशन में शामिल किया गया है। यह चौंकाने वाला फैसला इसलिए भी खास है क्योंकि ये दोनों नेता अक्सर मोदी सरकार की नीतियों के आलोचक रहे हैं।
थरूर का चयन: कूटनीति में अनुभव का फायदा
पीएम मोदी का यह फैसला कई लोगों को हैरान कर सकता है, लेकिन इसके पीछे कूटनीतिक सोच है। शशि थरूर का संयुक्त राष्ट्र में लंबा अनुभव और कूटनीति में गहरी पकड़ उन्हें इस अभियान का महत्वपूर्ण चेहरा बनाता है।
2006 में थरूर संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के दावेदार भी रह चुके हैं। हालांकि, वे उस वक्त सफल नहीं हो पाए थे, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें वैश्विक कूटनीति का गहन ज्ञान दिया।
थरूर का समर्थन और भूमिका
शशि थरूर शुरू से ही ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करते रहे हैं। उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों और चैनलों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा है। थरूर की भाषण शैली और कूटनीतिक समझ का लाभ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने में मिल सकता है।
पीएम मोदी ने थरूर को इस डेलिगेशन में शामिल कर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। थरूर न केवल विपक्ष के वरिष्ठ नेता हैं, बल्कि उनके विचार और विश्लेषण कूटनीतिक मामलों में काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
थरूर की कूटनीतिक विशेषज्ञता का फायदा
थरूर का कूटनीतिक कौशल और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर पकड़ मोदी सरकार की इस योजना को मजबूती प्रदान करेगी। वे जानते हैं कि विभिन्न देशों में कैसे बात रखनी है और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को किस प्रकार बेनकाब करना है।
मोदी सरकार का यह कदम न केवल राजनीतिक संतुलन बनाए रखने का प्रयास है, बल्कि विश्व मंच पर भारत की साख को भी मजबूत बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है।