ऑपरेशन सिंदूर के बाद केंद्र सरकार का अंतरराष्ट्रीय अभियान

नोएडा: ऑपरेशन सिंदूर के सफल समापन के बाद केंद्र सरकार ने एक नई अंतरराष्ट्रीय पहल शुरू की है। इसके तहत, दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर भारत का पक्ष रखने के लिए एक विशेष प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया है। इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को शामिल किया गया है।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) का इनकार
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने अपने सांसद को इस प्रतिनिधिमंडल में भेजने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों को इस अभियान में शामिल किया है। टीएमसी सांसद यूसुफ पठान का नाम भी इस सूची में था, लेकिन पार्टी ने उनका नाम वापस ले लिया।
टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस फैसले की घोषणा करते हुए स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति का काम केंद्र सरकार का होता है। इसलिए पार्टी ने अपने सांसद को इस अभियान में नहीं भेजने का निर्णय लिया है।
सात डेलिगेशन और 51 सांसद
केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान में आतंकवाद को उजागर करने के लिए कुल सात डेलिगेशन बनाए हैं। इनमें विभिन्न राजनीतिक दलों के 51 सांसद शामिल किए गए हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों में भाजपा के बैजयंत पांडा और रविशंकर प्रसाद, जेडीयू के संजय कुमार झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, कांग्रेस के शशि थरूर, डीएमके से कनिमोझी करुणानिधि और राकांपा-सपा से सुप्रिया सुले का नाम शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की कूटनीति
इस विशेष अभियान का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के पक्ष को मजबूती से रखना और पाकिस्तान में आतंकवाद के मुद्दे को उजागर करना है। केंद्र सरकार का मानना है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों को इस मुहिम में शामिल कर भारत की कूटनीति को और सशक्त किया जा सकता है।