नेशनल हेराल्ड केस: मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर कोर्ट की ED से सख्त पूछताछ !

नोएडा: नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अदालत को बताया कि यंग इंडियन कंपनी के पास कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी और यह केवल आरोपितों के हितों की पूर्ति के लिए काम कर रही थी। ईडी का कहना है कि यंग इंडियन को मिली संपत्तियाँ, शेयर और किराए मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराध की आय हैं।
कोर्ट ने ईडी से मांगा स्पष्ट आधार
राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने ईडी से कड़े सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी कंपनी की गतिविधि मनी लॉन्ड्रिंग मानी जाती है, तो यह साबित करना होगा कि वह अनुसूचित अपराधों से जुड़ी है। अदालत ने पूछा कि क्या यंग इंडियन को मिले शेयर और संपत्तियाँ वास्तव में अपराध की आय हैं? क्या ये कानूनी रूप से फंडेड नहीं हैं?
फोरेंसिक जांच पर भी उठे सवाल
कोर्ट ने ईडी से यह भी पूछा कि क्या उन्होंने इस मामले में फोरेंसिक ऑडिटर की मदद ली है? कोर्ट का कहना था कि किसी कंपनी के संचालन और शेयर जारी करने की प्रक्रिया की विस्तृत जांच जरूरी है ताकि यह तय किया जा सके कि कोई धोखाधड़ी हुई है या नहीं।
ईडी ने अप्रैल में दाखिल किया आरोपपत्र
इस मामले में ईडी ने 15 अप्रैल को कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन को एजेएल (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) के शेयर हस्तांतरित करना एक धोखाधड़ीपूर्ण कार्यवाही है।
जुलाई में लगातार होगी सुनवाई
कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस मामले में 2 जुलाई से 8 जुलाई तक प्रतिदिन सुनवाई होगी। यह फैसला तब आया जब प्रतिवादियों ने रिकॉर्ड की जांच के लिए सुनवाई को स्थगित करने की मांग की, जिसे ईडी ने विरोध करते हुए खारिज करवा दिया।