वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी, अंतरिम आदेश पर फैसला जल्द !

नोएडा : वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक लगाने की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में तीन दिन तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान केंद्र सरकार ने रोक लगाने का कड़ा विरोध किया।
केंद्र सरकार ने किया वक्फ कानून का समर्थन
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि वक्फ की अवधारणा धर्मनिरपेक्ष है और इसका संवैधानिक आधार मजबूत है, इसलिए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती।
वरिष्ठ वकीलों ने उठाए संविधानिक सवाल
याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों ने अदालत के सामने वक्फ कानून की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि यह कानून गैर-न्यायिक रूप से संपत्तियों पर कब्जा करने का साधन बन सकता है।
तीन प्रमुख बिंदुओं पर अंतरिम आदेश की मांग
याचिकाकर्ताओं ने तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतरिम आदेश की मांग की:
1. वक्फ संपत्ति को गैर-अधिसूचित करने की प्रक्रिया: कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोके।
2. वक्फ बोर्डों की संरचना: मांग की गई कि बोर्डों में केवल मुसलमानों को शामिल किया जाए, सिवाय पदेन सदस्यों के।
3. कलेक्टर की जांच संबंधी प्रावधान: यह प्रावधान कि कलेक्टर की जांच के बाद वक्फ संपत्ति को अमान्य माना जाएगा, इस पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई।
सरकार ने कोर्ट में सौंपा 1,332 पन्नों का जवाब
25 अप्रैल को केंद्र सरकार ने 1,332 पन्नों का विस्तृत हलफनामा कोर्ट में पेश किया, जिसमें वक्फ संशोधन कानून का समर्थन करते हुए कहा गया कि यह संसद द्वारा पारित कानून है और इस पर पूर्ण प्रतिबंध उचित नहीं होगा।