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अग्निपथ व अग्निवीर योजना के बारे में भ्रांतियों दूर करने की कोशिश की पूर्व सैन्य व पुलिस अधिकारियों ने

सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद विभिन्न क्षेत्रों की नौकरियों में अग्निवीरों को मिलेगी पहली प्राथमिकता

नोएडा। केंद्र सरकार की अग्निपथ और अग्निवीर योजना के बारे में भ्रांतियों के कारण पिछले कई दिनों से हो रहे विरोध प्रदर्शन और हिंसक वारदात से पुलिस अधिकारी तो चिंतित हैं ही, सैन्य अधिकारी भी चिंचित हैं। इन्हीं भ्रांतियों के कारण सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया गया है। भारत बंद कितना असर होगा, यह बाद की बात है। अग्निपथ और अग्निवीर योजनाओं को लेकर भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश के तहत गौतमबुद्ध नगर की कमिश्नरेट पुलिस और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने खासतौर से युवओं को वस्तुस्थिति से अवगत कराने की कोशिश की।

 

पूर्व सैन्य अधिकारियों और गौतमबुद्ध नगर की कमिश्नरेट पुलिस ने सोमवार को यहां नोएडा प्रेस क्लब में संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की। इस प्रेस कांफ्रेंस में अतिरिक्त उप पुलिस आयुक्त (एडीसीपी) रणविजय सिंह और पूर्व सैन्य अधिकारियों कर्नल शैलेंद्र सिंह और अन्य सैन्य अधिकारी शामिल थे।

पूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल शैलेंद्र ने कहा कि इस समय भारत को युवा सेना (यंग आर्मी) की जरूरत है। दुनिया के बड़े देशों में युवा सेना का सिस्टम है। यह सिस्टम जारी है। भारत में भी ऐसे युवा सेना की जरूरत है। उन्होंने बताया कि 25 प्रतिशत जवानों को वापस रख लिया जाएगा। 75 प्रतिशत को इतना प्रशिक्षित कर दिया जाएगा कि वे आगे सेनानिवृत्त होकर भी कई स्थानों पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं। उनको कई सशस्त्र बल, पीएसयू, बैंक की नौकरियों में प्राथमिकता मिलेगी।

उन्होंने कहा कि पहले के जमाने में हाथ और तलवारों के साथ युद्ध लड़ा जाता था। अब समय तकनीक की है। तकनीक लड़ाई का अब का दौर है। सेना को जवान और बेहतर रखना बहुत ही जरूरी है। 30 से 35 साल में 80 प्रतिशत लोग तक रिटायर हो जाते हैं ऐसे में इस सिस्टम को खत्म करना जरूरी था। उन्होंने कहा कि सरकार ने उम्र सीमा 17 साल से 21 साल के बजाए 23 साल कर दिया है। उन्होंने कहा कि जो लोग दो साल मेडिकल टेस्ट पास कर चुके हैं वे फिर सेना में आना चाहते हैं तो ऐसे लोगों दोबारा मेडिकल टेस्ट पास करना होगा। चूंकि वे पहले मेडिकल टेस्ट पास कर चुके हैं इसलिए उन्हें फिर से मेडिकल टेस्ट पास करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। अब सेना में भर्तियों की संख्या बढ़ा दी गई है, ऐसे में उनके सेना में चुने जाने के अवसर अधिक हैं।

अग्निपथ योजना के विरोध में हो रही हिंसा के बारे में उन्होंने कहा कि जो भी सेना में जाना चाहते हैं, वे इतने अनुशासित होते हैं कि इस तरह की हरकत वे कर ही नहीं सकते। जो लोग इस तरह की हरकत कर रहे हैं वे सेना के लायक नहीं है। इसलिए अगर सेना में जाना है तो इस तरह की हिंसक वारदात से उन्हें बचना ही चाहिए।

 

उधर, एडीसीपी रणविजय सिंह ने कहा कि जो लोग भी हिंसक वारदात में शामिल हुए हैं पुलिस उनकी पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर कर रही है। ऐसे में एक बार एफआईआर में नाम चढ़ने के बाद पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिलेगी। इसलिए जो युवक हिंसक वारदात या प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं, उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए।

पूर्व सैन्य अधिकारी ने कहा कि सेना जवान का प्रशिक्षण अवधि को छह महीने करने से सेना के स्तर में कमी नहीं आएगी। उन्होंने  कहा कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे स्टैंडर्ड सेना में से एक है। छह महीने के प्रशिक्षण से सेना के स्तर में कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि जवान का प्रशिक्षण सिर्फ शुरू में ही नहीं होती है बल्कि सेवानिवृत्ति तक उसका प्रशिक्षण चलता रहता है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ हुए युद्ध में तीन महीने की प्रशिक्षण के बाद भी जवानों ने युद्ध लड़ा था। फिर यह कहना कि प्रशिक्षण अवधि कम होने से भारतीय सेना के स्तर में कमी आएगी ठीक नहीं है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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