रोजगारः देश का पहला ट्रांजिट हब बनेगा जेवर, रनवे का काम हुआ शुरू
यात्री सुविधाएं, सामान प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा, व्यापार के भी बढ़ेंगे अवसर
लखनऊ/नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट जेवर के रनवे का काम शुरू हो गया है। वहीं एशिया पैसेफिक ट्रांजिट हब विकसित करने की योजना भी बनाई जा रही है। देश में अभी किसी एयरलाइंस का ट्रांजिट हब नहीं है। यह सुझाव विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रा॰लि॰ (वाईआईएपीएल) को दिया गया है। जेवर एयरपोर्ट में एशिया पैसेफिक ट्रांजिट हब विकसित करने की योजना है। इसके लिए किसी बड़ी एयरलाइंस से समझौता होना है। समझौता करने वाली एयरलाइंस अन्य एयरलाइंस को अपने साथ जोड़ती है। हब बनने के बाद उसकी सभी फ्लाइट यहां से होकर गुजरेंगी।
ट्रांजिट हब बनने से एयरपोर्ट में फ्लाइट का आना-जाना अधिक होगा। जब फ्लाइट अधिक आएंगी तो रोजगार के अवसर बनेंगे। व्यापार भी बढ़ेगा। इसलिए यह हब बनने से अनेक फायदे मिलेंगे। यात्री सुविधाएं, सामान प्रबंधन, इम्मिग्रेशन आदि पर जोर दिया जाएगा एयरपोर्ट में लाउंज से सीधे विमान तक पहुंचने की सुविधा मिल सकती है।
ज्यूरिख एयरपोर्ट की तरह मिलेंगी सुविधाएं
यहां पर यात्रियों के सामान को रखने पहुंचाने में नई तकनीक का इस्तेमाल होगा इसके लिए मल्टीलेयर लैगेज पार्किंग बनेगी। यहां पर अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जेवर एयरपोर्ट में भी पेरिस के ज्यूरिख एयरपोर्ट की तरह तकनीक देखने को मिलेगी।
जेवर एयरपोर्ट में बनेंगे दो एमओरओ
दूसरी ओर यमुना विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ अरुणवीर सिंह ने यहां बताया कि जेवर एयरपोर्ट पर दो एमआरओ (मेंटिनेंस रिपेयर आफिस) बनेंगे।
पहला एमआरओ 40 एकड़ में एयरपोर्ट के अंदर बनेगा और दूसरा एमआरओ 1365 एकड़ में बनेगा। 40 एकड़ का एमआरओ साल 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा।,
उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर में एमआरओ की मांग बढ़ी है। अगले चार सालों में एक हजार विमानों की संख्या बढ़ेगी। ऐसे में सरकार का एमआरओ के निर्माण का यह महत्वपूर्ण कदम होगा।
उन्होंने कहा कि अभी तक देश के विमान मेंटिनेंस और सर्विसिंग के लिए बाहर के देशों में भेजे जाते हैं। हर साल करीब 15 हजार करोड़ इस पर खर्च हो जाता है जो विदेशों में चला जाता है। अब यह धनराशि देश में ही खर्च होगी।
40 हजार करोड़ का होगा निवेश
उन्होंने कहा कि एमआरओ बनने से मेंटिनेंस और रिपेयर की सेवाएं देश में ही उपलब्ध हो सकेंगी। इसमें करीब 40 हजार करोड़ का निवेश होगा।
50 हजार से अधिक को मिलेगा रोजगार
यह परियोजना पूरी होने से 50 हजार से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लोगों को रोजगार मिलेगा।