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पर्यावरण संरक्षणः पौधारोपण कार्यक्रम में 160 से अधिक पौधे रोपे गए, संरक्षण का भी संकल्प

सेक्टर 137 फेलिक्स अस्पताल के साथ पारस टेयरा मे सोसायटी के लोगों ने पौधारोपण मे बढचढ कर हिस्सा लिया

नोएडा। पर्यावरण गतिविधि महानगर  के तत्वाधान  में नोएडा के सेक्टर 137 के पारस टेयरा के निवासियो ने फेलिक्स अस्पताल की टीम के साथ पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता फेलिक्स हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और पर्यावरणविद्  डॉक्टर डीके गुप्ता ने की। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय पर्यावरण आयाम के मीडिया प्रमुख निरंजन कुलकर्णी और प्रान्त सह पर्यावरण प्रमुख महिपाल के संरक्षण में किया गया।

प्राकृतिक हरियाली कम होती जा रही हैः गुप्ता

इस अवसर पर डॉक्टर डीके गुप्ता ने कहा कि भारत देश बहुत तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। पहले की तुलना में लोगों के रहन-सहन में मूलभूत बदलाव हो रहा है। हमारे आसपास कंक्रीट का जंगल बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक हरियाली कम होती जा रही है। इसका सर्वाधिक प्रभाव हमारे बच्चों पर पड़ रहा है। अगर बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो देश भी सुरक्षित रहेगा। हम विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर होंगे। भारत का प्राचीन गौरव लौटेगा। तब इसे सोने की चिड़िया बनने से कोई नही रोक पाएगा।

पहाड़-एनसीआर के लोगों में स्वास्थ्य का अंतर

उन्होंने कहा कि आज भी पहाड़ पर रहने वाले सब लोग शहरों में रहने वालों से अधिक स्वस्थ होते हैं। जब एक पहाड़ पर रहने वाले और एक एनसीआर में रहने वाले व्यक्ति की ऑटोप्सी कर फेफड़े देखे गए तो पता चला कि हालांकि दोनों में जीवन भर कोई सिगरेट आदि का सेवन नही किया था। फिर भी पहाड़ पर रहने वाले व्यक्ति के फेफड़े साफ थे और एनसीआर के व्यक्ति के फेफड़े में बहुत सारा तार था। यह केवल प्रदूषण के कारण था। आज बच्चों में भी अस्थमा, लंग कैंसर, स्किन कैंसर जैसी बीमारियां बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। हमारा लाइफ स्टाइल कहीं न कही खराब हो रहा है।

पौधारोपण से सभी को लाभ होगा

उन्होंने कहा कि हमारे पौधारोपण करने से हमें ही नहीं बल्कि समस्त जीव-जंतुओं को भी लाभ होगा। इसलिए हमें अपने आप को कहीं न कहीं पर्यावरण से जोड़ना ही पड़ेगा।

फोटो खिंचवाने तक सीमित नहीं रहेः महिपाल

इस अवसर पर  महिपाल ने कहा कि पौधारोपण अभियान सिर्फ पौधे लगाने और फोटो खिंचवाने तक ही सीमित न रह जाए। पौधे लगाइए, तस्वीरें खिंचवाइए और फिर जिम्मेदारी भूल जाइए। इसके बाद न पर्यावरण की फिक्र न ही पौधे की देखभाल की उतना प्रयास करना चाहिए जितना कि हम अपने बच्चो की करते हैं।

निरंजन कुलकर्णी ने कहा कि मुझे यकीन है कि हममें से हर कोई किसी भी कीमत पर पर्यावरण को बचाना चाहता है। हालांकि पर्यावरण को बचाने का मतलब केवल हमारे तत्काल परिवेश की सुरक्षा का मतलब नहीं है बल्कि हमारे पार्क, वन भंडार और वन्यजीव अभयारण्य भी हैं। इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है कि हम सभी पर अपनी धरती मां को बचाने की जिम्मेदारी है। इससे यह रहने के लिए एक साफ़ और सुरक्षित जगह बन सके। पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण के लिए बढ़ते खतरे में इजाफ़ा हुआ है। धरती को हमारे लिए और साथ ही हमारी अगली पीढ़ियों के लिए रहने हेतु साफ़ तथा सुरक्षित स्थान बनाने का कर्तव्य और ज़िम्मेदारी लें। यह हमारे लिए जरूरी है कि हम इसके साथ प्रयोग करने और इसे अधिक शोषण करने के बजाय पर्यावरण के अनुरूप रहें।

पौधारोपण में सभी की भागीदारी

“पर्यावरण को बचाने” के लिए सभी की पौधारोपण में भागीधारी रही। बड़े लोगों के साथ कार्यक्रम में बच्चो को भी पर्यावरण बचाने के लिए प्रेरित किया गया। इस कार्यक्रम में पर्यावरण नारी शक्ति की बहनों ने भी बढ़-चढ़ कर सहभागिता की ।

कार्यक्रम में बताया गया कि पौधे हमारे पर्यावरण के सबसे बड़े संरक्षक हैं। पेड़-पौधे प्रकृति की सुकुमार, सुन्दर, सुखदायक रचना है। पेड़-पौधे वातावरण से कार्बन डाईऑक्साइड सोखकर हवा को शुद्ध बनाते हैं। पौधों की पत्तियां भी सल्फ़र डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे ख़तरनाक तत्व अपने में समा लेती हैं और हवा को साफ़ बनाती हैं। धरती पर विनाश का ताण्डव कभी उपस्थित न होने पाए, इसी कारण प्राचीन भारत के वनों को सुरक्षित करें। वर्तमान में धरती पर सूर्य की किरणें अग्नि जैसी वर्षा करने लगी हैं। इसलिए एक पौधे अवश्य रोपें और उसकी रक्षा करें।

कार्यक्रम के अंत मे सभी लोगों ने इस संकल्प के साथ कि- सांसें हो रही है कम, आओ पेड़ लगाए हम,  के आह्वान के साथ पूरी सोसाइटी में 160 से अधिक पौधे रोपे गए।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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