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उत्तर प्रदेशलखनऊ

विकास के पंखः नए उद्योगों के लिए नहीं होगी भूमि की कमी

दशकों से बंद पड़ी सरकारी टेक्सटाइल मिलों की भूमि पर लगेंगे औद्योगिक प्लांट

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीतियों के कारण प्रदेश में लग रहे नए उद्योगों को भूमि की समस्या न हो, इसके लिए दशकों से बंद पड़ी सरकारी टेक्सटाइल मिलों की भूमि का उपयोग किया जाएगा। औद्योगिक और अवस्थापना विभाग अगले दो सालों में मिलों की देनदारी चुकाकर भूमि का व्यवसायिक कार्यों में उपयोग करेगा। इससे एक तो उद्यमियों और कारोबारियों को आसानी से भूमि मिलेगी, दूसरे मिलों की भूमि को अवैध कब्जे और गतिविधियों से बचाया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में आयोजित ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की बैठक में कहा था कि औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि प्राथमिक आवश्यकता है। प्रदेश में करीब एक लाख हेक्टेयर भूमि का लैंड बैंक है। प्रयास यह रहे कि समिट से पहले हम लैंड बैंक को और विस्तार दें। इसके लिए राजस्व विभाग की एक टीम गठित करें, जो निवेश के लिए उपयुक्त लैंड का चिह्नांकन करे, जिससे जो निवेशक यहां आएं, उन्हें भूमि की समस्या न हो।

सरकार की ओर से नए उद्योगों की स्थापना को लेकर लैंड बैंक बनाया गया है और एक्सप्रेस-वे के किनारे औद्योगिक गलियारे भी बनाए जा रहे हैं। इनके अलावा प्रदेश में दशकों से बंद पड़ी सरकारी मिलों की भूमि के उपयोग की भी कार्ययोजना बनाई गई है। इसी तर्ज पर जौनपुर में यार्न मिल की 50 एकड़ भूमि हाल ही में मेडिकल कॉलेज को दी गई है।

कई जिलों में है हजारों एकड़ भूमि

प्रदेश में उत्तर प्रदेश राज्य वस्त्र निगम लिमिटेड की 22.89 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य स्पिनिंग मिल लिमिटेड की 322.35 एकड़, उत्तर प्रदेश राज्य यार्न लिमिटेड की 212.79 एकड़, उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल्स संघ लिमिटेड की 705.27 एकड़ कुल 1461 एकड़ भूमि है। यह भूमि मेरठ, हरदोई, झांसी, प्रयागराज, बांदा बलिया, मऊ, रायबरेली और बाराबंकी, अमरोहा, बरेली, गाजीपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, सीतापुर, बिजनौर, संतकबीरनगर और बुलंदशहर जिले में है। इन मिलों पर देनदारी भी है, जिसके भुगतान की व्यवस्था अवस्थापना और औद्योगिक विकास विभाग कर रहा है।

 

दशकों से बंद पड़ी मिलों का होगा उद्धार

प्रदेश में दशकों से सरकारी टेक्सटाइल मिलें बंद हैं, लेकिन किसी सरकार ने इसकी सुध नहीं ली। योगी सरकार इन मिलों की देनदारी भी चुकाने का प्रयास कर रही है। साथ ही इन मिलों की भूमि का सदुपयोग व्यवसायिक कार्यों में हो सके, इसके लिए भी कार्य कर रही है।

 

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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