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विचार-विमर्शः नेफोवा के नेतृत्व में हुई घर खरीदारों की बैठक में शामिल हुए सैकड़ों लोग

आम्रपाली ग्रुप हाउसिंग अलग-अलग परियोजनाओं के घर खरीदार हुए शामिल, कई मुद्दों पर बनी सहमति

नोएडा । आम्रपाली ग्रुप हाउसिंग की अलग-अलग परियोजनाओं के घर खरीदार सैकड़ों लोग नेफोवा के नेतृत्व मे बैठक के लिए रविवार को दोपहर 12 बजे इकट्ठा हुए। बैठक में कई मुद्दों पर आपस में विचार-विमर्श हुआ। फिर कई मु्द्दों पर आपसी सहमति भी बनी।

 

घर खरीदारों की अनदेखी

पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्त किए गए कोर्ट रिसीवर ने 6 परियोजनाओं के FAR को बेचने का प्रस्ताव पेश किया था जिसमें कई सारे ऐसे प्रावधान दिए गए थे जिसमें घर खरीदारों के हितों की अनदेखी की गई है।

रविवार को हुई बैठक का उद्देश्य उसी के विरोध स्वरूप अपनी आपत्ति को दर्ज करवाना था। बैठक में काफी विचार-विमर्श के बाद आम सहमति बनी।

जमीन पर घर खरीदार का पहला हक

बैठक में सहमति बनी कि इन जमीनों पर पहला अधिकार घर खरीदारों का है। क्योंकि उन्होंने अधिमान्य स्थान शुल्क (पीएलसी) का भुगतान किया है और इन सभी सुविधाओं को उक्त परियोजनाओं में जनसंख्या के घनत्व के आधार पर मास्टर प्लान में प्रदान किया गया है। इसप्रकार, बिना किसी बदलाव के मास्टर प्लान से बेसिक सुविधाओं को नहीं हटाया जाना चाहिए। ऐसा करने का कोई भी प्रयास स्पष्ट रूप से अपार्टमेंट एक्ट के नियमों का उल्लंघन होगा।

बुनियादी सुविधाओं में छेड़छाड़ नहीं होने देंगे

बैठक में सहमति बनी कि  इसके अलावा स्कूल, अस्पताल और नर्सिंग होम, पुलिस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड, मिल्क एवं उपयोगिता बूथ एवं कम्युनिटी मार्केट बुनियादी सुविधाएं हैं जो भविष्य की आबादी और उनकी आवश्यकताओं और को ध्यान में रखते हुए ग्रुप हाउसिंग में प्लान की जाती है। इनमें किसी भी तरह का छेड़छाड़ हम सभी घर खरीदार नहीं होने देंगे।

परियोजना अप्रूव्ड मैप के अनुसार ही बनेगा

बैठक में इस पर भी सहमति बनी कि बच्चों का प्ले एरिया, ग्रीन एरिया या पार्क, सब स्टेशन, फायर टेंडर का रास्ता, क्लब, एसटीपी, ईटीपी आदि कॉमन एरिया के अंतर्गत आते हैं, जिसके एवज में घर खरीदारों ने पहले ही एक आनुपातिक आधार पर भुगतान किया है और इसलिए, उनकी सहमति प्राप्त किए बिना उसमें परिवर्तन करना उनके विश्वास को धोखा देने या भंग करने के समान होगा। क्योंकि उन्होंने केवल अपनी बकाया राशि का भुगतान सर्वोच्य न्यायालय में अपना विश्वास जताते हुए कोर्ट रिसीवर की मांग के अनुरूप किया। सभी लोगों को आश्वस्त किया गया था कि परियोजना उनके अप्रूव्ड मैप के अनुसार ही बनेगा।

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट प्रभावित करेगा

बैठक में सहमति बनी कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो फायर टेंडर पथ या एसटीपी या ईटीपी जैसी आवश्यक सुविधाओं में कोई भी बदलाव किसी भी आपात स्थिति में निवासियों के जीवन को खतरे में डालेगा और ऐसी स्थिति भी पैदा करेगा, जिसे अग्निशमन विभाग या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जैसे प्राधिकरण अनापत्ति प्रमाण पत्र देने में दिक्कत कर सकते हैं और उनकी मंजूरी के बिना परियोजनाओं को अथॉरिटी से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को भी प्रभावित करेगा।

घर खरीदार तैयार नहीं

बैठक में कहा गया कि घर खरीदारों ने अपने जीवन-यापन के लिए एक घर बुककर अपनी मेहनत की कमाई का भुगतान किया था और इसलिए किसी भी बदलाव से अथवा सुविधाओं में छेड़-छाड़  से उनके रहने की स्थिति स्पष्ट रूप से प्रभावित होगी और यहां तक ​​कि इन प्रीमियम परियोजनाओं की हालत कंक्रीट के झुग्गी बस्तियों जैसी हो जाएगी जिसके लिए हम सब घर खरीदार बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं।

सभी को थी आपत्ति

बैठक में एक बात पर और भी सबको आपत्ति थी की सुनवाई के दौरान कोर्ट रिसीवर ने नोएडा एक्सटेंशन के एक नामी बिल्डर गौर संस का नाम लेते हुए यह भी कहा था उस बिल्डर के अनुसार आम्रपाली की परियोजनाओं के नजदीकी बहुत सारे कमर्शियल मॉल बने हुए हैं जिसके कारण सोसाइटी के अंदर इस तरह की सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है। अतः FAR को बेचने के लिए इन सुविधाओं में बदलाव किया जा सकता है। घर खरीदारों का स्पष्ट रूप से यह मानना था कि आखिर गौर संस द्वारा आम्रपाली की परियोजनाओं में ऐसी क्या दिलचस्पी है जिससे वह इसको प्रभावित करने में लगे हुए हैं। अगर उन्हें (गौड़ संस) इतनी ही दिलचस्पी है तो आम्रपाली के किसी प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लेकर कंप्लीट करें, जिससे एनबीसीसी को दिया जाने वाला प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट राशि भी बचेगी और वह कम दाम पर प्रोजेक्ट बन सकेगा।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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