उत्तर प्रदेशलखनऊ

बुंलेदखंडः कम पानी में खेती और बागवानी के गुर सिखाएगा इजरायली दल

इण्डिया इजरायल बुंदेलखंड वाटर प्राजेक्ट के तहत शुरू होगी खेती, गंगावली गांव के किसानों से सहमति के बाद अंतिम रूप में प्रोजेक्ट की तैयारी

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड को लेकर कई घोषणाएं की है। इनमें पानी को लेकर खासा फोकस किया गया है। इसी के तहत सिंचाई के क्षेत्र में कई नए प्रयोगों पर काम चल रहा है। बुंदेलखंड में सिंचाई के परम्परागत साधनों को विकसित करने के साथ ही कम पानी में कृषि की नई तकनीक विकसित करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी की मंशा है कि बुंदेलखंड में कम पानी वाले क्षेत्रों में इजरायल की तकनीकी से खेती हो। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इजरायल की कम्पनी से समझौता किया है। इण्डिया-इजरायल बुंदेलखंड वाटर प्रोजेक्ट के माध्यम से पहूज नदी के किनारे स्थित 25 से अधिक गांव में कम पानी में खेती की तकनीक विकसित करने पर काम चल रहा है।

यह है परियोजना की खासियत

इण्डिया-इजराइल बुंदेलखंड वाटर प्रोजेक्ट पर उत्तर सरकार और इजरायल के बीच प्लान आफ को-ऑपरेशन पर 20 अगस्त 2019 में समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। परियोजना के तहत बड़ा गांव विकास खण्ड के ग्राम गंगावली को मिनी पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। इस गांव में परियोजना की बहुत जल्द शुरुआत होनी है। मिनी पायलट प्रोजेक्ट के तहत गांव के किसानों को दस हेक्टेयर क्षेत्रफल पर टमाटर, कश्मीरी मिर्च के अलावा बागवानी की तकनीकी इजरायल दल के लोग सिखाएंगे। यह परियोजना ड्रिप इरिगेशन तकनीकी पर आधारित है। परियोजना की सफलता के बाद इसे अन्य चयनित गांव में भी लागू किया जाएगा।

किसानों से मिल चुकी है सहमति

झांसी के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) शैलेश कुमार के अनुसार अभी प्रारंभिक चरण में पहूज नदी के बेसिन में स्थित क्षेत्रों पर फोकस होगा है। मिनी पायलट प्रोजेक्ट के लिए गंगावली गांव के कृषकों की सहमति प्राप्त हो गई है और रिपोर्ट तैयार कर इजरायल दल को भेजी जा रहा है। इजरायल की टीम यहां बहुत जल्द आएगी। इसके बाद परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। मिनी पायलट परियोजना की सफलता के बाद पहूज नदी के बेसिन में स्थित 25 से अधिक गांव में इस परियोजना को लागू किया जाएगा और किसान कम पानी में बेहतर खेती कर सकेंगे।

अन्य जिलों में लागू होगी परियोजना

यदि यह परियोजना बुंदेलखंड के कम पानी वाले गांवों में सफल होती है तो राज्य सरकार इसे उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में लागू करेगी। गौरतलब है कि कई जिलों में भूमिगत पानी काफी नीचे चला गया है। ऐसे जिलों में फसलों की सिंचाई ट्यूबवेल से भी नहीं हो सकती है। क्योंकि ऐसे जिलों एक ट्यूबवेल नाकारा साबित हो चुके हैं दूसरे डार्क जोन घोषित जिले में नया ट्यूबवेल की बोरिंग पर रोक लगी है। ऐसे में यह परियोजना उन जिलों के लिए काफी कारगर साबित होगी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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