अंतर्राज्यीय गिरोहः अंगूठा छाप के लिए भी बना देते थे फर्जी डिग्री व मार्कशीट
सेक्टर 63 थाना पुलिस ने दो आरोपियों धर दबोचा, बड़ी मात्रा में फर्जी डिग्री, मार्कशीट व अन्य सामान बरामद
नोएडा। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट नोएडा के थाना सेक्टर 63 की पुलिस ने फर्जी डिग्री बनाने और उन्हें लोगों को उपलब्ध कराने वाले अन्तर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफास किया है। पुलिस ने इस गिरोह को दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। उनके पास से काफी मात्रा में फर्जी मार्कशीट, डिग्री सहित अन्य सामान बरामद हुए हैं।
कौन हैं आरोपी
पुलिस प्रवकत्ता ने बताया कि 18 सितंबर को नोएडा थाना सेक्टर 63 की पुलिस ने आनन्द शेखर निवासी फ्लैट नंबर 5083 टावर नंबर -6 अजनारा क्रासिंग रिपव्लिक थाना विजयनगर जिला गाजियावाद मूल पता- वी-16 मौर्या नगर निकट अनीशावाद थाना अनीशावाद जिला पटना बिहार, चिराग शर्मा निवासी भूरा की चक्की कैलाशपुरी थाना कोतवाली नगर जिला बुलन्दशहर वर्तमान पता-पंकज चौहान का मकान गली नंबर 5 ममूरा थाना फेस-3 नोएडा को बी- 44 सेक्टर 63 गौतमबुद्ध नगर से गिरफ्तार किया है।
क्या हुआ आरोपियों के पास से बरामद
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 85 फर्जी मार्कशीट, प्रमाण पत्र, 58 लिफाफे फर्जी मार्कशीट, 38 खाली लेटर पैड, 7 खाली अंक तालिका सीट, 8 मुहरें, 14 डेक्सटाँप, 14 सीपीयू, 11 माउस, 12 की बोर्ड, 42 डेस्कटॉप वायर, एक पेपर कटर, एक हेड फोन, एक कलर प्रिन्टर, एक राउटर, एक वाइफाइ कनेक्टर, दो इन्टरनेट स्विच बॉक्स, 33 नोकिया मोबाइल की पैड, 55 सिम विभिन्न कंपनियों के बरामद हुए हैं।
कैसे करते थे अपराध
पुलिस ने बताया कि पकड़े गए आरोपी बी-44 सेक्टर 63 का द्वितीय तल किराये पर लेकर फर्जी मार्कशीट, डिग्री बनाने का कार्य करते हैं। ये भोले-भाले लोगों को कम पैसों में विभिन्न कोर्सों, डिप्लोमा की डिग्री, अंकतालिका उपलब्ध कराते हैं। इन लोगों ने बैंगलोर में भी यही कार्य किया था, जिनके विरुद्ध वहां पर मुकदमा लिखा जाने से ये वहां से छोड़कर नोएडा भाग आए थे। इनके बारे में द हिन्दू अखबार की वेवसाइट पर भी उपलब्ध है। इन लोगों ने इंटरनेट के माध्यम से 5 हजार प्रतिदिन के हिसाब से एड करते थे जो भी इनके एड पर क्लिक करता था उसका नम्बर इनके पास आ जाता था और उनके पास यह कॉल कर अपने विभिन्न कोर्सों के बारे में जानकारी देते थे तथा जो भी भोला-भाला व्यक्ति इनके झांसे में आ जाता था ये उनसे 30 से 70 हजार रुपये के मध्य रुपये नगद लेकर फर्जी मार्कशीट, डिग्रियां उपलब्ध करा देते थे। ये लोग लगभग 20 साल तक पुरानी अंकतालिका, डिग्री देने का भी ठेका ले लेते थे और अवैध रुप से लाभ लेकर डिग्री उपलब्ध कराते थे।