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टला बड़ा हादसा, ग्रेनो वेस्ट की सोसाइटी में डेढ़ घंटे फंसे रहे बच्चे, लिफ्ट एक्ट का किया जा रहा है उल्लंघन, जानिये क्या हैं नियम

ग्रेटर नोएडा वेस्ट (फेडरल भारत न्यूज) : नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेनो वेस्ट में लिफ्ट खराब होने और रेजिटेंड के उसमें फंसने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला ग्रेनो वेस्ट की ग्रीन आर्च सोसायटी का हैं, जहां लिफ्ट बंद होने से उसमें लोग डेढ़ घंटे से अधिक समय तक फंसे रहे। लोहे की रॉड से दरवाजा खोलकर बड़ी मुश्किल से लोगों को बाहर निकाला गया। नोएडा की अधिकांश सोसाइटियों में लिफ्ट एक्ट के प्राविधानों का पालन नहीं करने से लोगों के जीवन को संकट में डाला जा रहा है।

लोहे की रॉड से खोला लिफ्ट का दरवाजा

जानकारी के अनुसार ग्रेनोवेस्ट की बिसरख कोतवाली के अंतर्गत स्थित ग्रीन आर्च के एफ टावर की लिफ्ट रविवार की रात को अचानक फंस गई। इसमें कुछ बच्चे भी सवार थे। अलार्म बजने पर लोगों वहां एकत्रित हो गए। लोहे की रॉड से लिफ्ट का दरवाजा खोलकर उसमें से बच्चों और अन्य लोगों को निकाला जा सका। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में लिफ्ट एक्ट लागू है, परंतु इस पर गंभीरता से अमल नहीं किया जा रहा है।

इसी वर्ष लागू हुआ था लिफ्ट एक्ट

नोएडा व ग्रेटर नोएडा की हाईराइज बिल्डिंगों में लिफ्ट हादसों की लगातार घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस वर्ष लिफ्ट एक्ट लागू किया था। इस एक्ट में नियम है कि लिफ्ट हादसा होने पर बिल्डिंग स्वामी को जिला मजिस्ट्रेट, प्राधिकरण और स्थानीय कोतवाली प्रभारी को अनिवार्य रूप से सूचना देनी होगी। दुर्घटना होने पर जिला मजिस्ट्रेट विद्युत निरीक्षक से पहले जांच कराएंगे। उसकी रिपोर्ट के बाद ही लिफ्ट दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया जाएगा।

एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट करना अनिवार्य

लिफ्ट एक्ट के अनुसार, एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (एएमसी) करना अनिवार्य कर दिया गया है। अर्थात बिल्डर और एओए (एसोशिएशन फार फ्लैट आनर्स) को नियमित तौर पर लिफ्ट की जांच करानी होगी, जिसकी जानकारी प्राधिकरणों को देनी होगी।

लिफ्ट एक्ट में क्या हैं प्रमुख नियम

  1. लिफ्ट या एस्कलेटर लगवाने के लिए स्वामी को संबंधित प्राधिकरण व प्रशासन से पंजीकरण कराना होगा।
  2. निजी परिसर और सार्वजनिक परिसर के लिए अलग-अलग पंजीकरण होगा।
  3. लिफ्ट लगने के बाद इसके संचालन से पहले राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी।
  4. संचालन से पहले ही एनुअल मेंटेनेंस कान्ट्रेक्ट लेना होगा जिसके तहत नियमित समय में देखरेख का कार्य अनिवार्य कराना होगा, जिसकी जानकारी नियुक्त किए अधिकारी को देनी होगी।
  5. कोई खराबी आने पर तकनीकी टीम या किसी खराबी के दूर करने की दशा में एएमसी तकनीकी टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा, जिसे अनुरक्षण लाग बुक में लिखना होगा।
  6. आपातकालीन स्थिति में किसी के फंसने और सुरक्षित बाहर निकालने के लिए साल में दो बार माक ड्रिल कराना होगा।
  7. एक्ट लागू होने के छह महीने के अंदर पंजीकरण कराना होगा।
  8. लिफ्ट शिफ्ट के लिए फिर से पंजीकरण कराना होगा एक्ट से पहले जिन इमारतों में लिफ्ट लग चुकी है उसके पंजीकरण को छह माह में पंजीकरण कराना होगा
  9. लिफ्ट एक्ट के नियम के तहत यदि कोई बदलाव कराना है तो उसे 30 दिन में कराना होगा। इस समयाविधि के बीच कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी
  10. प्रत्येक रजिस्ट्रेशन की अवधि लिफ्ट या एस्कलेटर के संपूर्ण जीवनकाल के लिए होगी।

 

 

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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