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हिंदू पंचांग के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर को होगा, आइए जानिये लक्ष्मी पूजन विधि

नोएडा(धर्म डेस्क): रोशनी का पर्व दिवाली देश के सबसे महत्वपूर्ण और खुशी मनाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पांच दिनों के पर्व की यह शृंखला अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक है। हर दिन का अपना विशेष महत्व और रीति-रिवाज होते हैं। वर्ष 2024 में दिवाली का पर्व 29 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर को समाप्त होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार दीवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आइए मां लक्ष्मी की पूजन सामग्री और नियम जानते हैं, जो यहां पर विस्तार से दिया गया है।
महालक्ष्मी पूजन और लक्ष्मी कुबेर पूजा की विधि
• लक्ष्मी पूजन: घर की अच्छी तरह से सफाई करें और इसे लाइट्स और फूलों से सजाएं। देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्तियों या चित्रों के साथ एक भव्य वेदी स्थापित करें।
• अर्पण: मिठाई, फल, सिक्के और आभूषण देवी को अर्पित करें। दीयों और धूप को जलाएं।
• मंत्र जाप: लक्ष्मी और कुबेर मंत्रों का जाप करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें।
• माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा
• कुमुकम, पीला सिंदूर, रोली, सुपारी, नारियल, अक्षत (चावल)
• अशोक व आम के पत्ते
• हल्दी, दीप-धूप, कपूर, रूई,कलावा,
• मिटटी के दीपक और पीतल का दीपक
• दही, शहद, गंगाजल, फूल, फल, गेहूं-जौ, दूर्वा
• सिंदूर-चंदन, पंचामृत, बताशे, खील
• लाल या पीले वस्त्र
• लकड़ी की चौकी
• कमल गट्टे की माला
• कलश, शंख, थाली, चांदी का सिक्का
• बैठने के लिए आसन और शुद्ध जल आदि।
लक्ष्मी पूजन विधि

सबसे पहले पहले स्नान करें।
• फिर लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
• मंदिर को पूर्ण रूप से व्यवस्थित और साफ करें।
• इसके बाद कलश को सजाएं उसमें जल, गंगाजल, सुपारी, आदि डालें।
• हाथ में फूल और अक्षत लेकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें।
• देवी का ध्यान करते उन्हें दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं।
• स्नान के बाद उन्हें वापस से चौकी पर विराजित कर दें ।
• फिर माता लक्ष्मी-गणेश को कुमकुम का तिलक लगाएं।
• उन्हें लाल फूलों की हार पहनाएं।
• कमल का फूल अर्पित करें।
• इसके बाद उन्हें खीले-खिलौने, बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण आदि अर्पित करें।
• देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
• देवी के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
• अंत में पूरा परिवार मिलकर गणेश भगवान और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर उनकी आरती उतारें।
• पूजा समाप्त होने के बाद शंखनाद करें और क्षमायाचना करें।
• फिर सभी में लक्ष्मी प्रसाद का वितरण करें।
माता लक्ष्मी के वैदिक मंत्र
• अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम्।
• ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह।
• पद्‍मानने पद्‍मिनी पद्‍मपत्रे पद्‍मप्रिये पद्‍मदलायताक्षि विश्वप्रिये विश्वमनोनुकूले त्वत्पादपद्‍मं मयि सन्निधस्त्व।।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Mukesh Pandit

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के हापुड़ शहर (अब जिला) में जन्म। एसएसवी पीजी कालेज से हिंदी एवं समाजविज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा। वर्ष 1988 से विभिन्न समाचार पत्रों दैनिक विश्वमानव, अमर उजाला, दैनिक हरिभूमि, दैनिक जागरण में रिपोर्टिंग और डेस्क कार्य का 35 वर्ष का अनुभव। सेवानिवृत्त के बाद वर्तमान में फेडरल भारत डिजिटल मीडिया में संपादक के तौर पर द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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