कार्रवाई : ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों को देना होगा लाखों का जुर्माना, बिल्डरों पर वाटर एक्ट की कार्रवाई
नोएडा : प्रदूषण विभाग ने ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों पर जल अधिनियम तोड़ने के आरोप में कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे पहले भी जल अधिनियम तोड़ने पर उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई की गयी थी। जिन सात बिल्डरों पर जुर्माना लगाया गया है उनमें वीवीआईपी होम्स, अरिहंत आर्डेन, नोवेल वैली, लकी पाम्स, बुलंद एलीवेट्स, चेरी काउंटी, एपेक्स गोल्फ एवेन्यू और पंचशील हाइनिश शामिल हैं।
सोसायटी का गंदा पानी बिना शोधित किए नाले में बहाया जा रहा है। नाले का पानी हरनंदी और यमुना नदी में जाता है। पानी का परीक्षण किया गया तो पानी में उच्च स्तर के पीएच, तेल-ग्रीस, जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग, निलंबित ठोस, अधिक पाए गए। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी ने मुख्य प्रदूषण अधिकारी को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट की प्रति सहित कार्रवाई की मांग की है।
जल प्रदूषण को नियंत्रित करने और देश में जल की गुणवत्ता को उच्च रखने के लिए 1974 में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम लागू किया गया था। पिछले साल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सरकार को जल प्रदूषण को रोकने के लिए बिल्डरों को आदेश दिया था। सरकार ने 63 बिल्डरों के पानी की जांच के बाद उन्हें नोटिस जारी कर जुर्माना लगाया है।
प्रदूषण विभाग ने देखा कि बहुत सारे घरों में सीवेज के पानी को साफ करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट नहीं थे, और उन्होंने यह देखने के लिए कुछ नमूने लिए कि पानी सुरक्षित है या नहीं। कुछ मामलों में पानी की गुणवत्ता उच्च पाई गई और इसमें शामिल घरों को ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए कहा गया।