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अचानकः सपा उप्र अध्यक्ष को छोड़ सभी इकाइयां भंग

बेहतर काम करने वालों को पुनर्गठन में दी जाएगी तरजीह

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तत्काल प्रभाव से सपा उत्तर प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर सभी युवा संगठनों, महिला सभा एवं अन्य सभी प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, सहित राष्ट्रीय, राज्य, जिला कार्यकारिणी को भंग कर दिया है।

उपचुनाव परिणाम ने डाला असर

लोकसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव परिणाम के बाद ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि सपा अध्यक्ष संगठन से संबंधित कोई न कोई निर्णय लेंगे। अब जबकि आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव परिणाम आए करीब महीने भर हो गए हैं तब अखिलेश ने फ्रटल संगठनों को भंग करने का निर्णय लिया है। ऐसा समझा जाता है कि सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद सपा के सभी फ्रंटल संगठनों का पुनर्गठन होगा। सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की जल्दी ही बैठक होने वाली है।

विधानसभा सीटों को बताया गया था उपलब्धि

उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में सपा ने पूरे प्रदेश में इस तरह से हौवा खड़ा कर दिया था कि वही सत्ता में आ रही है। यही हौवा खड़ा करने की नतीजा था कि कुछ भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों ने सपा सुप्रीमो से नजदीकियां बढ़ाने की भी कोशिश कर दी थी। यहां तक एक वरिष्ठ अधिकारी अखिलेश को सुबह गुड मार्निंग और रात को गुड नाइट का मैसेज भेजने लगे थे। इससे आजिज आकर अखिलेश ने उनका नंबर ही ब्लाक कर दिया था। इधर जब विधानसभा चुनाव परिणाम की घोषणा हुई तो सपा 111 सीटों पर ही सिमट गई। फिर भी सपा सुप्रीमो ने इसे कार्यकर्ताओं के बीच इसे अपनी उपलब्धि बताया। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा को मात्र 47 सीटें मिली थी। इस बार इसमें करीब ढाई गुनी सीट का इजाफा हुआ है।

रामपुर के चुनाव परिणाम ने चौंका दिया था

लेकिन जब आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव के परिणाम आए तो सपा नेतृत्व चकित रह गया। उसे रामपुर सीट को जीत जाने का पक्का विश्वास था। आजमगढ़ में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी गुड्डू जमाली ने सपा का खेल पूरी तरह से बिगाड़ दिया था। फिर भी सपा नेता दावा करते रहे कि वे आजमगढ़ लोकसभा का उपचुनाव जीत रहे हैं। यहां जीत का सपा नेताओं को ही पक्का भरोसा नहीं था। लेकिन जब रामपुर का उपचुनाव परिणाम आया तो सभी चौंक गए। रामपुर में तो पराजय की कोई उम्मीद ही नहीं थी।

ऐसा समझा जा रहा है कि चुनाव और उपचुनाव में बेहतर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को फ्रंटल संगठनों और मुख्य संगठन में तरजीह दी जाएगी। इसी संगठन पुर्गठन से सपा दो साल बाद होने वाले लोकसभा के चुनाव में उतरने वाली है।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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