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आरोपः निजी अस्पताल पर मरीज को बंधक बनाने का पिता ने लगाया आरोप, अस्पताल ने आरोपों को नकारा

दो लाख 36 हजार रुपये का बिल थमाया, हेल्थ केयर से दावा मंजूर नहीं होने पर पिता ने भुगतान करने में असमर्थता जताई

नोएडा। नोएडा के सेक्टर 5 स्थित शर्मा मार्केट में चाय की दुकान चलाने वाले दाऊ दयाल कठेरिया ने सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल की शाखा पर आरोप लगाया है कि अस्पताल ने उसके बेटे को बंधक बना लिया है। इसका कारण उन्होंने यह बताया कि वह इस निजी अस्पताल का दो लाख 36 हजार रुपये क बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। उधर अस्पताल की प्रबंधक रजनी ने दाऊ दयाल के आरोपों को नकार दिया है और कहा कि पिछले तीन दिनों से मोहित को अस्पताल के भरोसे छोड़कर परिवार के लोग अस्पताल से संपर्क नहीं कर रहे हैं।

क्या है मामला

दाऊ दयाल कठेरिया का कहना है कि उनके बेटे मोहित कुमार कठेरिया टीबी की शिकायत है। उसकी तबीयत खराब होने पर कैलाश अस्पताल के सेक्टर 71 की शाखा में ले गए थे। वहां काउंटर पर अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें बताया कि चूंकि उनका हेल्थ केयर से मेडिकल इंश्योरेंस है, इसलिए अस्पताल में कैशलेस इलाज हो जाएगा। कठेरिया का कहना है कि उन्होंने काउंटर पर बैठे स्टाफ से साफ-साफ कह दिया था कि वे चाय की दुकान से गुजर-बसर करते हैं। मेडिकल इंश्योरेंस के क्लेम के भुगतान के बाद ही वे अस्पताल का बिल भर पाएंगे। वरना वे बेटे का इलाज नहीं कराएंगे। इस स्टाफ ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वे मेडिकल क्लेम का भुगतान करा लेंगे, वे भुगतान की चिंता नहीं करें।

आश्वासन पर भर्ती कराया

दाऊ दयाल का कहना है कि अस्पताल स्टाफ के इस आश्वासन पर उन्होंने बेटे को इलाज के लिए पहली मार्च को भर्ती करा दिया। बेटे की तबीयत सुधरने के बाद अस्पताल ने डिस्चार्ज करने के लिए दो लाख 36 हजार रुपये का बिल बनाया और हेल्थ केयर से भुगतान के लिए क्लेम किया लेकिन यहां से क्लेम मंजूर नहीं हुआ। अब अस्पताल प्रबंधन कठेरिया पर दबाव डाल रहा है कि वह बिल का भुगतान कर बच्चे को ले जाएं लेकिन कठेरिया के पास रुपये नहीं होने के कारण बिल का भुगतान नहीं पा रहे हैं। उनका बेटा अभी तक अस्पताल में ही पड़ा हुआ है। कठेरिया का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन ने बेटे को बंधक बना लिया है।

दाऊ दयाल का यह भी आरोप है कि मेडिकल क्लेम अस्पताल की गलती के कारण बार-बार रिजेक्ट हो रहा है। मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी जो चाहती है अस्पताल उसे उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। लिखा-पढ़ी के बारे में उन्होंने अस्पताल से अनुरोध किया है कि वे उनके बेटे से करें लेकिन अस्पताल प्रबंधन उनके बेटे से संपर्क ही नहीं कर रहा है। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वे अस्पताल के बिल का भुगतान कर सकें।

समाजसेवी संगठन आगे आए

इस मामले की जानकारी कुछ समाजसेवी संगठनों को हुई तो उन्होंने मामले को ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया के माध्यमों से उठाया। लेकिन मामले का अभी तक समाधान नहीं हुआ है।

नहीं उठा फोन

इस मामले में कैलाश अस्पताल की बेवसाइट पर मौजूद नंबर 01202222222 पर बात करने की कोशिश की गई काल रिसीव ही नहीं की गई। एक अन्य नंबर 0120-2484444 पर फोन मिलाने पर इस फोन नंबर को टेंपरेरी आउट आफ सर्विस बताया गया। फिर नोएडा सेक्टर 27 स्थित कैलाश अस्पताल के फोन नंबर 01202444444 से संपर्क कर सेक्टर 71 का नंबर मांगा गया तो वहां से फोन वहीं कनेक्ट कर दिया गया।

क्या कहती हैं अस्पताल की मैनेजर

कैलाश अस्पताल सेक्टर 71 की मैनेजर रजनी से फोन से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मरीज की भर्ती के पहले दाऊ दयाल कठेरिया ने मेडिकल क्लेम के भुगतान पर ही अस्पताल का बिल देने की कोई बात नहीं की थी। कठेरिया ने अनुरोध किया था कि मोहित प्यारा बेटा है किसी तरह इलाज कर बचा लें। कठेरिया के इस अनुरोध पर मोहित को भर्ती कर लिया गया था। अब जब उस स्थिति कुछ सुधर गई है और डिस्चार्ज करने लायक है तो अस्पताल ने उन्हें बिल दिया। बिल लेने के बाद तीन दिन से मोहित कठेरिया (मरीज) के परिवार का कोई सदस्य अस्पताल नहीं आ रहा है। मोहित को बिलकुल उन लोगों ने लावारिस हालत में अस्पताल में छोड़ दिया है। फिर भी अस्पताल मोहित को एक कमरे में रखकर उसका इलाज, दवा, खाना-पीना आदि का प्रबंध कर रहा है। अस्पताल ने मोहित के पिता से अनुरोध किया है कि वे अस्पताल आएं। बातचीत करें मोहित को घर ले जाएं। मोहित को जो अलग कमरा दिया गया है। वह उसका सामान्य भुगतान करें। अस्पताल प्रबंधन इलाज के बिल में जितना संभव होगा कम कर देगा। उन्होंने कहा कि इस अनुरोध के बाद तो मोहित के परिवार वालों ने अस्पताल से संपर्क करना ही बंद कर दिया है। रजनी ने फेडरल भारत से अनुरोध किया कि वे मोहित के परिवार से संपर्क कर अस्पताल प्रबंधन का संदेश उन तक पहुंचा दें। फेडरल भारत ने रजनी का संदेश दाऊ दयाल कठेरिया तक पहुंचा दिया है।

इसलिए क्लेम रिजेक्ट हुआ

सेक्टर 71 स्थित कैलाश अस्पताल की मैनेजर रजनी ने बताया कि हेल्थ केयर ने मेडिकल क्लेम को इस आधार पर रिजेक्ट कर दिया है कि इंश्योरेंस लेने के पहले बीमा कंपनी को यह नहीं बताया गया था कि मोहित को टीबी है। रजनी का कहना है कि चार-चार बार इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम बनाकर भेजा गया लेकिन हर बार क्लेम रिजेक्ट हो गया।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

Prahlad Verma

उत्तर प्रदेश के मऊनाथ भंजन के कोपागंज कस्बे में जन्म। स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा फैजाबाद (अब अयोध्या) से हासिल करने के बाद वर्ष 1982 से स्तंभकार के तौर पत्रकारिता की शुरुआत। पत्रकारीय यात्रा हिन्दी दैनिक जनमोर्चा से शुरू होकर, नये लोग, सान्ध्य दैनिक प्रतिदिन, स्वतंत्र चेतना, कुबेर टाइम्स, अमर उजाला और विभिन्न क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अखबारों से होते हुए दैनिक जागरण पर जाकर रुकी। दैनिक जागरण से ही 15 जनवरी 2021 को सेवानिवृत्त। इसके बाद क्षेत्रीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न समाचार पत्रों में निर्वाध रूप से लेखन जारी। अब फेडरल भारत डिजीटल मीडिया में संपादक के रूप में द्वितीय दौर की पत्रकारिता का दौर जारी।

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