अमृत महोत्सवः फेलिक्स अस्पताल ने तिरंगा रैली निकालकर मनाया स्वतंत्रता दिवस
प्रभात फेरी (रैली) में शामिल थे डाक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ के लोग
नोएडा। आजादी के अमृत महोत्सव हर घर तिरंगा अभियान के उपलक्ष्य में सोमवार को सेक्टर 137 फेलिक्स अस्पताल की ओर स्वतंत्रता दिवस पर प्रभात फेरी (रैली) निकाली गई। रैली में अस्पताल के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टॉफ ने भाग लिया।
फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉक्टर डीके गुप्ता ने बताया कि सभी कर्मचारियों ने बड़े ही जोश के साथ रैली में भाग लिया। इस दौरान भारत माता की जय, वंदे मातरम का नारा लगाया। लोगों से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अपने घरों पर तिरंगा लगाने की अपील की।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजाद हुआ। उस स्वतंत्रता के लिए लाखों-करोड़ों लोगों ने अपना बलिदान दिया। आज साल 2022 में जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है इसलिए लोगों को चाहिए कि अपने घरों में तिरंगा लगाकर अनेकता में एकता की मिसाल पेश करें। आज के दिन आजादी की लड़ाई में देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर शहीदों को याद किया जाता है। हालांकि पिछले दो सालों से कोरोना वायरस के कारण बड़े पैमाने पर कार्यक्रम नहीं किए जा सके। लेकिन इस बार प्रत्येक जगह पर आजादी का जश्न देखने को मिल रहा है। इसलिए शहीदों की कुर्बानी को याद दिलाने वाले कार्यक्रम आयोजित किया गया है। हम सब संकल्प लें कि भारत मां की शान और स्वाभिमान पर कभी आंच नहीं आने देंगे। देश की एकता और अखंडता को कम नहीं होने देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू किया गया है। इस बार के स्वाधीनता दिवस समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए हम सबको अपने-अपने घरों पर तिरंगा फहराना है।
कार्यक्रम में अस्पताल की डायरेक्टर डॉ रश्मि गुप्ता ने कहा कि 15 अगस्त 1947 की रात भारत देश आजाद हुआ था। अंग्रेजों ने पूरे 200 सालों तक हम पर राज किया था। देश को आजाद कराने में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, सुखदेव, सरदार वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी जैसे अनेक वीरों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। जिन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने में जी जान लगा दिया। कई तरह के विद्रोह और आंदोलन किए गए जिसके बाद अंत में थककर अंग्रेजों ने भारत से जाना ही उचित समझा।