ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन का संतुलित मात्रा में हो प्रयोग
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी
नोएडा। जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने धान की फसल में प्रयोग होने वाले रसायन ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन के मामले में एडवाइजरी जारी की है। उनका कहना है कि कीटनाशकों का असुरक्षित एवं अन्धाधुन्ध प्रयोग मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
गौतम बुद्ध नगर जिले के जिला कृषि रक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार यादव ने किसानों से कहा है कि फसलों में लगने वाले कीट रोग प्रबन्धन के साथ ही उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि रक्षा रसायन एक महत्पूर्ण निवेश है। देश में कीटनाशकों की औसत खपत 0.381 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जबकि विश्व में औसत 0.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, कीटनाशकों का असुरक्षित एवं अन्धाधुन्ध प्रयोग खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों के अवशेष के रूप में मानव स्वास्थ्य, जीव-जन्तुओं और पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालते हैं तथा कृषि के निर्यात को भी प्रभावित करता है। इसलिए कीटनाशकों का सुरक्षित एवं संस्तुत प्रयोग अति आवश्यक है। यूरोपीय संघ के देशों को निर्यात किए जा रहे बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल रसायन का अवशेष अनुमन्य सीमा 0.01 पीपीएम से अधिक पाया जा रहा है। ट्राईसाइक्लाजोल का प्रयोग मुख्यतः झोका रोग के नियंत्रण के लिए किया जाता है। बालियों में दाने बनने के बाद इसका प्रयोग करने से चावल में अधिकतम अवशेष सीमा बढ़ जाती है। यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं खाड़ी देशों को बासमती चावल के निर्यात में कीटनाशकों के अधिकतम अवशेष स्तर के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे वर्ष 2020-21 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 15 प्रतिशत तक निर्यात घटा है। इसके मद्देनजर भारत सरकार द्वारा प्रकाशित मसौदा अधिसूचना द्वारा ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन के निषेध के बारे में सभी संबन्धित संस्थाओं से आपत्तियाँ एवं सुझाव मांगे गए थे, जिसमें यह उल्लिखित किया गया था कि ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफजिन से मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव का खतरा है। इसी क्रम में भारत सरकार द्वारा गठित उप समिति द्वारा अवगत कराया गया है कि बुप्रोफेजिन को चीन, जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया एवं यूरोपीय संघ जैसे अन्य विकसित देशों सहित विभिन्न एशियाई देशों में प्रयोग की अनुमति है। इसी प्रकार ट्राईसाइक्लाजोल 14 एशियाई देशों में पंजीकृत है, परन्तु यूरोपीय संघ वर्तमान में पर्याप्त वैज्ञानिक डाटा के अभाव में नाट एप्रूव्ड है। ट्राईसाइक्लाजोल एवं बुप्रोफेजिन को मानव स्वास्थ्य पर कुप्रभाव के दृष्टिगत इनको निषिद्ध करने से पूर्व इसके न्यायोचित एवं संस्तुत प्रयोग के लिए सुझाव दिया गया। इसलिए किसान इन रसायनों का न्यायोचित एवं संस्तुत मात्रा से अधिक प्रयोग किसी भी दशा में न करें और पूरा प्रयास करें कि इन रसायनों का प्रयोग ही न करना पड़े, इनके स्थान पर बायोपेस्टीसाइड का अधिक मात्रा में प्रयोग करने का प्रयास करें। जो पर्यावरण एवं मानव समाज के लिए भी लाभकारी है।