प्रतिबंधितः बासमती धान की फसल पर नहीं करें कीटनाशी रसायनों का प्रयोग
खरीद, बिक्री और प्रयोग पर लगी दी गई है रोक, कीटनाशक विक्रेता कीटनाशकों की सूचना एक सप्ताह में दें
नोएडा। उत्तर प्रदेश में बासमती धान की फसल पर कीटनाशी रसायनों का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया गया है। कृषि विभाग ने किसानों को से कहा है कि वे बासमती धान की फसल पर कीटनाशी रसायनों का प्रयोग बिलकुल नहीं करें।
इन्हें किया गया है प्रतिबंधित
गौतमबुद्ध नगर जिले के जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जिले के किसानों और कीटनाशी विक्रेताओं से कहा है कि कीटनाशी अधिनियम-1968 के प्राविधानों के तहत ट्राईसाईक्लाजोल, बूप्रोफेजिन, एसीफेट, क्लोरोपाईरीफॉस, मेथामिडोफॉस, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफॉस, आइसोप्रोथियोलेन, कार्बेन्डाजिम कीटनाशी रसायनों का विक्रय वितरण और प्रयोग बासमती धान पर प्रतिबंधित कर दिया गया है।
क्यों किया गया है प्रतिबंधित
उन्होंने बताया कि उपरोक्त दिए गए कीटनाशी रसायनों के प्रयोग से उत्पादित बासमती चावल का निर्यात विदेशों में नहीं हो पा रहा है। इन रसायनों के प्रयोग से कीटनाशकों के अवशेष बासमती चावल में रह जाते हैं। ये पाये भी गए हैं। प्रदेश के किसानों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए ही उत्तर प्रदेश शासन ने बासमती धान की फसल पर संबंधित कीटनाशकों के प्रयोग पर रोक लगा दी है।
कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देश
उन्होंने जिले के सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि उनके स्टाक में उपलब्ध उपरोक्त कीटनाशकों की सूचना एक सप्ताह के अन्दर उनके कार्यालय में प्रस्तुत करें। इसी के साथ ही संदर्भित कृषि रक्षा रसायनों का 60 दिनों तक किसी भी दशा में नहीं बेचें।
प्रतिबंधित कीटनाशी बेचा तो होगी कार्यवाही
उन्होंने चेतावनी दी कि इस अवधि में किसी विक्रेता ने धान की फसल पर प्रयोग के लिए प्रतिबंधित रसायन को बेचा तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होगी।