अवरोधः धरना दे रहे किसानों को हटाने पहुंची पुलिस से हुई तीखी झड़प व नोकझोंक
अपनी मांगों के समर्थन में पिछले सात महीने से पल्ला गांव में धरना दे रहे हैं किसान
ग्रेटर नोएडा। अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए किसानों को अब आंदोलन करना भी भारी पड़ने लगा है। इसका ताजा उदाहरण यहां पल्ला गांव में देखने को मिला। यहां पिछले सात महीने से अपनी मांगों के समर्थन में धरना दे रहे किसानों को हटाने के लिए भारी पुलिस बल अचानक पहुंच गया। यहां भारी पुलिस बल और किसानों के बीच तीखी नोकझोंक और झड़प हो गई। लेकिन किसान किसी भी दशा में धरने से उठने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। पुलिस अधिकारी उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन किसान नहीं माने अब उनके गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हुआ है।
क्या चाहते हैं किसान
दिल्ली-मुंबई औद्योगिक रेलवे फ्रेट कॉरिडोर से प्रभावित किसान सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा और नए भूमि अधिग्रहण कानून के अंतर्गत अन्य फायदे की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है। दरअसल, दादरी से लेकर मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट तक दिल्ली-मुंबई रेलवे औद्योगिक फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण कार्य चल रहा है।। इसके लिए दादरी कस्बे कस्बे के आसपास पाली, पल्ला एवं बोड़ाकी समेत अन्य अनेक गांवों की भूमि का अधिग्रहीत हुई थी। लगभग 6 साल पहले भूमि अधिग्रहण का काम शुरू हुआ था। उस समय किसानों और जिला प्रशासन के बीच जो सहमति बनी थी उस आधार पर उन्हें मुआवजे बांटा गया था। अब किसान सर्किल रेट से चार गुना अधिक मुआवजा मांग रहे हैं। किसानों का तर्क है कि वे कोई नहीं मांग नहीं कर रहे हैं। यह व्यवस्था तो नई भूमि अधिग्रहण कानून में पहले ही गई है। उसी के आधार पर हम मुआवजा मांग रहे हैं। इसके अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण कानून से जुड़े दूसरे लाभ भी हमें चाहिए। कयोंकि इसका की प्रावधान नए भूमि अधिग्रहण कानून में किया गया है। लेकिन प्राधिकरण हमारी बात मानने को कौन कहे सुनने तक को तैयार नहीं है। जब प्राधिकरण में उनकी सुनवाई नहीं हुई तो वे पिछले सात महीनों से अपनी मांगों को मनवाने के लिए वे पल्ला गांव में धरना दे रहे हैं।
क्या कहते हैं प्राधिकरण के अधिकारी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि किसान सहमति के आधार पर मुआवजा और भूखंड ले चुके हैं। अब वे पिछले सात महीने से नई मांग कर रहे हैं वह जायज नहीं है। उनकी मांग और दावा गैरकानूनी है। अगर उन्हें अधिक मुआवजा चाहिए तो अदालत का दरवाजा खुला हुआ है। वे अदालत जा सकते हैं। अदालत इस मामले में जो भी फैसला देगा उसे सभी को मानना चाहिए।
प्राधिकरण का किसानों पर आरोप
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का यह आरोप है कि किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए हठधर्मिता का रास्ता अपना रहे हैं। उनके रवैये से विकास प्राधिकरण की परियोजनाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। किसानों ने डीएमआईसी की परियोजना के अलावा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की अन्य कई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं को जबरन रोक रखा है। इनमें गंगाजल परियोजना एक दशक से फंसी हुई है। गंगा जल परियोजना का 85 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है। कई सालों से किसान पाइप लाइन नहीं डालने दे रहे हैं। इस परियोजना के लिए अधिग्रहीत की गई भूमि का किसान मुआवजा पहले ही ले चुके हैं। फिर भी वे निर्माण कार्य को रोक रहे हैं तो यह तो सरासर गैरकानूनी है।
किसान सीईओ से ही बात करने पर अड़े
प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानकारी दी कि पिछले दिनों अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी और किसानों में पहले दौर की बातचीत ठीकठाक माहौल में हुई थी। दूसरे दौर की बातचीत के लिए बीते शनिवार को किसानों को बुलाया गया था लेकिन उन्होंने बातचीत करने से मना कर दिया। किसानों की ओर से कहा गया कि वे सिर्फ मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) से ही बातचीत करेंगे। इसके अलावा अन्य किसी अधिकारी से उन्हें बातचीत नहीं करनी है। प्राधिकरण के अधिकारियों ने जानकारी दी कि लगभग एक माह पहले ही सीईओ ने किसानों को चेतावनी दे दी थी कि अगर वे ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न करेंगे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। फिर भी किसान नहीं माने।
फिलहाल, किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पाला गांव में भारी पुलिस बल अब भी मौजूद है।